राष्ट्रीयलखनऊ

राजधानी में मनाया गया गुरू अर्जुन देव का शहीदी दिवस

10लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला में रविवार को सिख धर्म के पांचवें गुरू अर्जुन देव महाराज का 408 वाँ शहीदी दिवस बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। इस अवसर पर दीवान हाल में श्री गुरू ग्रन्थ साहिब को फूलों से सुसज्जित कर एक भव्य पालकी पर सुशोभित किया गया। रागी जत्था भाई मनजीत सिंह एवं भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुर वाणी में आसा-दी-वार की पवित्र बाणी का शबद कीर्तन कर श्रद्धालुओं को निहाल किया।समारोह में श्री दरबार साहिब अमृतसर के सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह जी ने श्री गुरू अरजन देव के जीवन पर गुरमति विचार व्यक्त करते हुए बताया कि गुरू अर्जुन देव जी ने सभी गुरूओं और भक्तों की बाणियों को संकलन करके एक ग्रन्थ तैयार किया जिसका मूल तत्व परमपिता परमेश्वर की अराधना करना, जाति-पाँति एवं अन्ध विश्वासों का खण्डन करना और लोगों में आपसी भाईचारे की भावना पैदा कर परमेश्वर से जोड़ना है। उन्होंने 1604 को पहली बार आदि ग्रन्थ को श्री हरमन्दिर साहिब श्री अमृतसर में स्थापित किया जिसके पहले ग्रन्थी बाबा बुड्ढ़ा बने। श्री गुरू अरजन देव जी ने 30 रागों में 2312 शबद लिखे, जिसमें श्री सुखमनी साहिब प्रमुख हैं। भाई चरनजीत सिंह जी देहरादून वालों ने अपनी मधुर बाणी में‘‘तेरा कीआ मीठा लागे हरि नामु पदारथ नानक मांगे।’’ शबद कीर्तन गायन किया। रागी जत्था भाई मेजर सिंह लुधियाना वालों ने ‘‘जिसके सिर ऊपर तूं स्वामी सो दुख कैसा पावै,’’ शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने समूह संगत को गुरू जी द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलने का आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन स0 सतपाल सिंह मीत जी ने किया। उसके पश्चात अरदास हुई तथा समस्त श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया।

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