राजस्थान में आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण
दस्तक टाइम्स/एजेंसी
जयपुर । राजस्थान विधानसभा ने मंगलवार को दो विधेयक पारित कर राज्य में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में अनारक्षित जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो को और गुज्जर जैसे विशेष पिछड़े वर्गो को आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया। गुज्जर 2007 से आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे हैं। राजस्थान आर्थिक पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) विधेयक 2015 और राजस्थान विशेष पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) विधेयक 2015 को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित किया गया। राजस्थान आर्थिक पिछड़ा वर्ग विधेयक को पेश करते हुए गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “यह विधेयक राज्य के आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए शिक्षण संस्थाओं और राज्य सरकार की नौकरियों में 14 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करता है।” कटारिया ने कहा कि लंबे समय से मांग की जा रही थी कि अनारक्षित जातियों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाए। यह अपनी खराब आर्थिक हालत की वजह से शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से और पिछड़ते जा रहे हैं। गुज्जरों की लंबे समय से चली आ रही आरक्षण की मांग के मद्देनजर विधानसभा ने राजस्थान विशेष पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) विधेयक 2015 को भी पारित किया है। विशेष पिछड़ा वर्ग में गुज्जर, बंजारा, गडिया लोहार जैसी जातियों को शामिल किया गया है। इन्हें शिक्षण संस्थाओं और राज्य सरकार की नौकरियों में पांच फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इन दो तरह के आरक्षणों को मिलाकर अब राज्य में कुल आरक्षण का प्रतिशत बढ़कर 68 हो गया है। कटारिया ने कहा कि इन दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करवाने का प्रयास किया जाएगा।