‘नेहरू का नाम गलती से छूट गया, सुधारेंगे’
राजस्थान में आठवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम हटा दिया गया है। यह पाठ्यपुस्तक अभी बच्चों तक नहीं पहुंची है लेकिन राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल ने इसे अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है।
नई किताबें लिखने वाले आठ सदस्यीय दल के प्रमुख ब्रजमोहन रामदेव से बीबीसी संवाददाता अमरेश द्विवेदी ने पूछा कि ऐसा क्यों हुआ? ब्रजमोहन रामदेव का जवाब उन्हीं के शब्दों में-
संभवतः ऐसा पुस्तक के लेखकों की जानकारी में कमी की वजह से हो गया हो, लेकिन वह (जवाहरलाल नेहरू) देश के प्रधानमंत्री रहे हैं, महापुरुष भी हैं और छठी, सातवीं, आठवीं की अन्य पुस्तकों में उनका उल्लेख है।
कई जगह उनका उल्लेख भी है और जहां ऐसा नहीं किया गया है तो किसी दुर्भावना या दुराग्रह के कारण नहीं है क्योंकि यह ऐसे महापुरुषों के प्रति न हो सकताहै, न है।
कई बार ऐसा भी होता है कि कई और लोगों के नाम जोड़ने होते हैं लेकिन प्रश्नों और किताब की एक सीमा है, तो इस वजह से हो सकता है कि उनका नाम छूट गया हो।
लेखक की त्रुटि की वजह से उनका नाम रह गया होगा और फिर जिन्होंने यह पुस्तक देखी होगी उनकी नज़र में बात नहीं आई होगी, नेहरू जी के प्रति यह जानबूझकर नहीं किया जा सकता।
देखिए गलती है तो उसे सुधारा जाना चाहिए और अगर ऐसी गलती है तो उसे निस्संदेह सुधारा जाएगा लेकिन यह सरकार के स्तर की बात है, अगर वह ऐसा (सुधार) करने को कहती है और वह निर्देश देती है तो हम ऐसा कर सकते हैं।
सरकार की तरफ़ से ऐसा कोई निर्देश नहीं आता कि किसी ख़ास चश्मे से इतिहास को देखा जाए और लिखा जाए, हां अगर कोई चीज़ छूट गई है तो उसे शामिल करने की बात कही जाती है और त्रुटियों को सुधारने की बात होती है।
अगर ऐसी कोई चूक हो जाती है तो उसे अगले संस्करण में सुधार दिया जाता है लेकिन यह काम राज्य सरकार के स्तर का होता है, अगर अभी कहेंगे तो अभी करेंगे, अगले संस्करण में कहेंगे तो अगले संस्करण में कर देंगे।
ऐसा भी हो सकता है कि हम सरकार को कहें कि यह गलती हुई है इसमें संशोधन किया जाए। अगर संभव हो तो अभी संशोधन करें, अगर न हो तो अगले संस्करण में संशोधन किया जाए।