लखनऊ : हाफिज उस्मान राज्य सूचना आयुक्त, द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (1) के तहत दण्डात्मक एवं धारा 19(8)(ख) के तहत क्षतिपूर्ति के लिए जिन अधिकारियों को नोटिस जारी किया था कि वादी को अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से सभी सूचनाएं उपलब्ध करायें, 30 दिन के अन्दर सूचना देना नियम के तहत अनिवार्य है। अधिनियम की धारा 19 (7) के तहत आयोग का आदेश बाध्यकारी भी है, जिन अधिकारियों ने आयोग के आदेशों की अवहेलना की है, और न तो उन्होनें सूचना से सम्बन्धित कोई अभिलेख आयोग के समक्ष पेश किया है, उन अधिकारियों को वादी को सूचना न उपलब्ध कराने का दोषी मानते हुए, उनके विरूद्ध अर्थ दण्ड अधिरोपित किया
गया।
जनसूचना अधिकारी, जिलाधिकारी, सहारनपुर, उपजिलाधिकारी कलेक्ट्रेट, मुरादाबाद, एडीशनल कमिश्नर ग्रेड-1 वाणिज्यकर मुरादाबाद, तहसीलदार तहसील नजीबाबाद बिजनौर, थानाध्यक्ष नांगल, सहारनपुर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सम्भल, जिला विद्यालय निरीक्षक, अमरोहा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अमरोहा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सहारनपुर, अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड, सम्भल, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मुजफ्फरनगर, खण्ड विकास अधिकारी, विकास खण्ड मिलक, रामपुर पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। 6 अधिकारियों को निदेर्शित किया गया कि अगले 30 दिन के अन्दर सभी सूचनाएं उपलब्ध कराते हुए, आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचनाएं क्यों नहीं दी गयी है। क्यों न उनके विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (2) के तहत विभागीय एवं धारा 19 (8)(ख) के तहत क्षतिपूर्ति का आदेश पारित कर दिया जाये।