एक साथ तीन तलाक को अपराध ठहराने वाला बिल लोकसभा में तो पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से सरकार अब विपक्ष को मनाने की कोशिश कर रही है। पहले इस बिल को आज राज्यसभा में पेश किया जाना था लेकिन संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि अब इसे कल पेश किया जा सकता है। कुमार ने बताया कि बिल पर सहमति बनाने के लिए सरकार कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यसभा में भी बिल आसानी से पास हो जाएगा।
बिल के मुताबिक एक साथ तीन तलाक पर पति को 3 साल तक की सजा हो सकती है और कुछ विपक्षी दलों को इसी पर ऐतराज है। लेफ्ट का कहना है कि बीजेपी राजनीतिक फायदे के लिए जल्दबाजी में इस बिल को लेकर आई है और उसका मकसद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है। अब सबकी नजर कांग्रेस पर टिकी है और बिल का भविष्य बहुत हद तक कांग्रेस के रुख पर निर्भर है क्योंकि उच्च सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है। बिल को लेकर लेफ्ट और कांग्रेस के बीच भी बातचीत चल रही है। कांग्रेस पर विपक्षी दलों का भी दबाव है।
दरअसल बिल का विरोध कर रहीं ज्यादातर पार्टियों का कहना है कि वे एक साथ तीन तलाक के खिलाफ हैं लेकिन सजा वाले प्रावधानों के खिलाफ हैं। सीपीएम नेता वृंदा करात ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के जरिए उस व्यवस्था को आपराधिक साबित कराना चाहती है, जो एक सिविल विवाद है। जब सरकार महिला सशक्तीकरण के नाम पर यह सब कर रही थी तो उन्होंने मुस्लिम महिलाओं और इससे जुड़े संगठनों से इस मुद्दे पर राय लेने की भी जरूरत नहीं समझी।’ सीपीआई के जनरल सेक्रटरी डी. राजा ने कहा, ‘लेफ्ट पार्टियों की कोशिश होगी कि इस बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेज दिया जाए।’