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राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने कहा—हमें एनसीपी और बीजेडी से सीख लेनी चाहिए


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा को सम्बोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के 250वें सत्र पर उपस्थित सांसदों को बधाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि निचला सदन जमीन से जुड़ा हुआ है, तो ऊंचा सदन दूर तक देख सकता है। निचले सदन में भारत की जमीनी स्थिति का प्रतिबिम्ब होता है, तो यहां पर दूरदृष्टि का पता चलता है। इस सदन ने कई ऐतिहासिक पल देखे। इतिहास बनाया भी और इतिहास बनते हुए देखा। जरूरत पड़ने पर इतिहास को मोड़ने का भी काम किया। 2003 में जब सदन के 200 सत्र पूरे हुए थे, तब भी एनडीए की सरकार थी। अटलजी प्रधानमंत्री थे, 200वें सत्र के समय अटलजी का भाषण दिलचस्प था। उन्होंने कहा था कि हमारे संसदीय लोकतंत्र की शक्ति बनाने के लिए सेकंड चैम्बर मौजूद है। यह भी चेतावनी दी थी कि सेकंड हाउस को कोई सेकंडरी हाउस बनाने की गलती न करे। आज के समय में अटलजी की बात को कहना चाहूंगा कि राज्यसभा को भारत के विकास के लिए सपोर्टिव हाउस बने रहना चाहिए।

‘देश के साथ राज्यों यानी क्षेत्रीय गति का भी संतुलन बनाना पड़ेगा। यह काम सबसे अच्छे तरीके से इस सदन में हो सकता है। इस काम में हम निरंतर प्रयासरत हैं। चेक और बैलेंस का विचार मूल सिद्धांतों के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन, इसका अंतर बनाए रखना जरूरी है। बैलेंस और ब्लॉकिंग के बीच भी संतुलन जरूरी है। आवश्यक है कि रुकावटों के बजाय हम संवाद का रास्ता चुनें। ‘राकांपा और बीजद दो दलों का उल्लेख करता हूं। दोनों दलों की विशेषता देखिए, इन्होंने खुद तय किया है कि हम वेल में नहीं जाएंगे। कभी भी नियम तोड़ा नहीं गया। हमें सीखना होगा कि नियम का पालन करने के बावजूद दोनों दलों की विचारधारा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। ये वेल में जाए बगैर लोगों का दिल जीत सकते हैं। क्यों न हम इनसे कुछ सीखें। मैं सारे सदन के लिए कह रहा हूं कि राकांपा और बीजद ने जिस नियम का पालन किया, उसकी चर्चा हो और उन्हें धन्यवाद दिया जाए।’

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