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रातोंरात बंद हो गए अरबों के हाउसिंग प्रोजेक्ट, अब चोर ले जा रहे सामान

साल 2008 में आई जबरदस्त आर्थिक मंदी ने कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसमें भारत और अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं। लेकिन इसका नुकसान अगर सबसे ज्यादा किसी देश को हुआ है तो वो है स्पेन। यहां मंदी के चलते वैलेंशिया समेत अन्य कई शहरों में चल रहे स्मार्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट रातोंरात आधे-अधूरे ही बंद हो गए। इसका असर ये हुआ है कि बिल्डर्स दिवालिया हो गए और उन्हें अपने प्रोजेक्ट छोड़ने पड़े।

रातोंरात बंद हो गए अरबों के हाउसिंग प्रोजेक्ट, अब चोर ले जा रहे सामान

हालांकि अब मंदी को 10 साल बीत चुके हैं और स्पेन की अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे सुधर रही है, लेकिन इसके बावजूद देशभर में अभी भी करीब 34 लाख मकान अधूरे पड़े हुए हैं, जिन्हें किसी को सुध नहीं है। इन सभी प्रोजेक्ट्स की कुल लागत के बारे में अगर सोचें तो यह करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये होती है। अब इन मकानों को गिराने का काम चल रहा है, लेकिन इसका खर्च मकानों के निर्माण लागत से भी ज्यादा पड़ रहा है।

मकानों पर अब चोरों का राज 
अब सभी आधे-अधूरे प्रोजेक्ट्स बैंकों के पास हैं, लेकिन वो उनकी नीलामी नहीं कर पा रहे हैं। 3.5 लाख करोड़ रुपये की लागत से देशभर में बने 34 लाख मकान अगर बिक जाते तो इससे करीब 12 लाख करोड़ रुपये आते, लेकिन प्रॉपर्टी की कीमत गिरने से अब इन मकानों को कोई खरीदना नहीं चाहता। ऐसे में इन घरों पर अब चोरों का राज हो गया है। वो एक-एक कर मकानों के सामान ले जा रहे हैं, जैसे कि किचन और बाथरूम में लगे नल, कॉपर वायरिंग आदि।

मंदी से वैलेंशिया शहर को हुआ है सबसे ज्यादा नुकसान
आर्थिक मंदी का नुकसान सबसे ज्यादा स्पेन के वैलेंशिया शहर को झेलना पड़ा है। 2008 से पहले यहां प्रॉपर्टी की कीमत आसमान छू रही थी, लेकिन मंदी की वजह से यहां प्रॉपर्टी की कीमत 50 फीसदी तक गिर गई। यहां तक कि 1200 करोड़ की लागत वाला कैसलॉन एयरपोर्ट भी अब उद्घाटन के बावजूद बेकार पड़ा हुआ है।

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