राम मंदिर को लेकर आमरण अनशन कर रहे संत परमहंस दास को पुलिस जबरन उठा कर ले गई
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आमरण अनशन पर बैठे संत स्वामी परमहंस दास को रविवार रात पुलिस जबरन उठा कर ले गई. संत परमहंस दास पिछले 7 दिनों से अनशन पर थे. इससे पहले अनशन समाप्त कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात कराने का आश्वासन भी दिया था. लेकिन उसके पहले ही पुलिस ने संत परमहंस को जबरन उठा लिया.
गौरतलब है कि संत परमहंस के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया सोमवार को अयोध्या पहुंचने वाले थे. तोगड़िया पहले ही राम मंदिर के लिए आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं. तोगड़िया ने ऐलान किया था कि 21 अक्टूबर को अपने समर्थकों के साथ लखनऊ से अयोध्या के लिए मार्च करेंगे. संत परमहंस दास का अनशन तुडवाने अयोध्या के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता भी पहुंचे और उन्होंने संत से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात कराने की बात भी की. लेकिन संत परमहंस मुख्यमंत्री के अयोध्या आने पर अड़े रहे.
संतों का मोदी सरकार को अल्टीमेटम
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को हुई संतों की बैठक में राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पास किया. प्रस्ताव में कहा गया हैं कि सभी राज्यों में धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ देश के सभी राज्यों के राज्यपाल से मुलाकात कर राम मंदिर निर्माण को लेकर जनभावना से अवगत कराएंगे. इसके अलावा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की योजना संतों ने बनाई.
वीएचपी से जुड़े देश के करीब 40 संतों ने बैठक कर आगे की रणनीति तय की. संतों की उच्चाधिकार समिति के साथ बैठक में कई संतों ने राम मंदिर के निर्माण पर केंद्र सरकार के रूख पर नाराजगी जताई और कहा कि अगर केंद्र सरकार अगर कोर्ट में लंबित होने के बाद एससी/एसटी अट्रोसिटी एक्ट को संसद से कानून बना सकती है, तीन तलाक बिल पर अध्यादेश ला सकती है तो राम मंदिर के निर्माण के लिए ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता.