उत्तर प्रदेश

राम मंदिर पर कोर्ट के बाहर सहमति की कवायद शुरू, दिल्ली में हुई चर्चा

लखनऊ : रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने की कवायद शुरू हो गई है। इसको लेकर दिल्ली में वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने एक राउंड टेबल चर्चा आयोजित की। इसमें प्रस्ताव पास किया गया कि रामजन्म भूमि की सबसे विवादित 2.7 एकड़ भूमि पर भव्य राम मंदिर बने। साथ ही आसपास की 67 एकड़ भूमि पर राम मानवता भवन का निर्माण हो, जिसमें सभी धर्मों के भवन जैसे मंदिर,मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा बनाया जाए।
राउंड टेबल के दौरान ‘धार्मिक बातचीत से अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद का निपटारा’ विषय पर चर्चा की गई। इस चर्चा के दौरान मुख्य प्रस्ताव वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विश्वनाथ कराड ने रखा, जिसपर ज्यादातर लोगों ने सहमति दी। हालांकि रामजन्म भूमि न्यास के पूर्व अध्यक्ष रामविलास वेदान्ती को प्रस्ताव का दूसरा हिस्सा पसंद नहीं आया और उन्होंने असहमति जताई। रामविलास के अनुसार केंद्र सरकार ने रामजन्म भूमि न्यास की 67 एकड़ ज़मीन अधिकृत की थी, उसको न्यास को दे दिया जाए। इस 67 एकड़ में अस्पताल, स्कूल या अन्य कोई सामाजिक कार्यों के लिए भवन का निर्माण हो।

सभी ने किया स्वागत

आरिफ़ मोहम्मद खान ने कहा कि वह दो धर्मों को जोड़ने वाले इस प्रस्ताव का स्वागत करते हैं साथ ही स्वामी अग्निवेश ने कहा कि कोर्ट का जो भी फ़ैसला आए, उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए। अगर राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आए तो मुसलमानों को मंदिर बनाने में सहयोग करना चाहिए, अगर मस्जिद के पक्ष में फ़ैसला आए तो हिंदुओं को मस्जिद निर्माण में मुसलमानों का साथ देना चाहिए। ऐसे में चर्चा के बाद यह तय किया गया कि राम मंदिर बनाने के प्रस्ताव को लेकर सभी स्टेक होल्डर से बात की जाए। आम सहमति बनाने की कोशि‍श हो ताकि मामला कोर्ट के बाहर आपसी बातचीत से सुलझ जाए। सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि इस मामले को आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है।

मीरबाकी के गांव में हो मस्जिद का‍ निर्माण

चर्चा के दौरान यह बात भी सामने आई कि बाबरी मस्जिद वहां कभी नहीं थी। मीरबाक़ी ने राम मंदिर को तोड़कर वहां पर बाबरी मस्जिद बनाई थी। बाबर कभी अयोध्या नहीं आया था. इसलिए अयोध्या से 12 किलोमीटर की दूरी पर सहजनवा की जगह जहां पर मीर बाकी का गाँव हैं, वहां भव्य मस्जिद का निर्माण हो। वहीं यह बात भी कही गई कि शिया मुस्लिम बोर्ड कह चुका है कि अयोध्या में राम मंदिर बने और मस्जिद का निर्माण अयोध्या के बाहर हो। सूत्रों के अनुसार राम मंदिर मामले में संघ की तरफ से अब इस तरह के प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसका मकसद है‍ कि 2019 के चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो सके, जिसका फ़ायदा परोक्ष रूप से पीएम मोदी और बीजेपी को मिल सके।

Related Articles

Back to top button