रुपए में एक हफ्ते से लगातार कमजोरी, रिजर्व बैंक की बढ़ी परेशानी
मुंबई। डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में एक हफ्ते से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले 6 दिन में रुपया करीब 80 पैसे टूटा है। रिजर्व बैंक के लिए यह नई परेशानी है।
दरअसल, डॉलर इंडेक्स में एक बार फिर तेजी का रुझान है। दूसरी ओर एशियाई देशों में अर्थवयवस्था की रिकवरी को लेकर चिंता है। इन सब का असर रुपए पर हो रहा है। रुपया कमजोर होने की एक दूसरी वजह भी है। कच्चे तेल के दाम बढ़ने की वजह से देश का आयात बिल बढ़ता जा रहा है। इस कारण रुपया दबाव में है। पिछले 5 महीनों में कच्चे तेल की कीमतें लगभग 80 फीसदी बढ़ गई हैं।
पिछले 15 दिन में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकवाली की। माना जा रहा है कि एफआईआई की नजर आरबीआई गवर्नर की दोबारा नियुक्ति पर है। यही वजह है कि उन्होंने निवेश रोक रखा है। रुपए में गिरावट की एक वजह यह भी है।
उधर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व जून में ब्याज दरें बढ़ा सकता है। ऐसा होने पर डॉलर मजबूत होगा और रुपए पर दबाव बनेगा।
हालांकि रुपया कमजोर होने से लेदर, टेक्सटाइल, आईटी और फार्मा सेक्टर को फायदा होगा। चीनी, चाय, चावल, जूलरी और ऑयल रिफाइनरी कंपनियां भी फायदे में रहेंगी। इसके अलावा करेंसी कमजोर होने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ता है। मेडिकल पर्यटन बढ़ने की भी गुंजाइश रहती है।
लेकिन, रुपया कमजोर होने के नुकसान ज्यादा हैं। मसलन, विदेशी करेंसी वाले लोन महंगे होंगे। ऐसे लोन पर हेजिंग की लागत बढ़ेगी। करेंसी कमजोर होने से देश की रेटिंग पर फर्क पड़ेगा। इसके अलावा देश से फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट निकलेगा। विदेश में घूमने-फिरने जाना और पढ़ना महंगा होगा। कच्चे तेल का आयात महंगा हो सकता है और जरुरी चीजों के दाम बढ़ने की आशंका रहती है। आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो जाएंगे।