उत्तराखंड

रेप पीड़िता की मां बोली ‘पुलिस के पास जाना सबसे बड़ी गलती’

दस्तक टाइम्स/एजेंसी- उत्तराखंड: acr468-5644e936ae000rape12दिल्ली में निर्भया कांड के बाद देशभर में रेप की शिकार पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने में कोताही नहीं बरतने के दावे तो खूब किए गए, लेकिन अब तक ऐसा कुछ खास हुआ नहीं।

देहरादून में रेप के एक मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ हाईकोर्ट का स्टे लाने वाले आरोपी भाजपा नेता को स्टे खारिज करवाकर गिरफ्तार करने के बजाए पुलिस ने खामोशी साध ली। यहां तक कि आरोपी के खिलाफ अकाट्य वैज्ञानिक सबूत, आरोपी और गर्भ के डीएनए फिंगर प्रिंट का मिलान तक नहीं कराया गया। तकलीफ देह बात यह है कि अविवाहित पीड़िता गर्भवती है और वक्त इतना गुजर चुका है कि अब गर्भपात भी संभव नहीं है।

इस केस में वर्तमान स्थिति क्या है, एएसपी सदानंद दाते से सवाल किया गया तो उन्होंने अनुसंधान अधिकारी ललिता तोमर से पूछकर बताया कि अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। इस पर अमर उजाला ने एसपी सिटी से आरोपपत्र के तथ्यों की जानकारी के लिए संपर्क किया तो बताया गया कि अभी तक आरोपपत्र स्वीकृति के लिए सीओ ऑफिस ही नहीं पहुंचा।

अगर यह सच है तो बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह झूठ क्यों? इधर, पीड़िता की मां का कहना है कि पुलिस में जाना ही उनकी सबसे बड़ी गलती रही है, क्योंकि इंसाफ तो नहीं मिला, बदनामी जरूर मिल गई। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमारी बिनब्याही बिटिया जब बच्चे को जन्म देगी तो हम लोगों से क्या कहेंगे?

प्राथमिकी के मुताबिक पटेलनगर क्षेत्र की पीड़िता अपनी मां के साथ भाजपा नेता मनीष वर्मा के आवास पर घरेलू काम करती थी। वर्मा की पत्नी की शिक्षा विभाग में नौकरी लगने के कारण बच्चों की देखभाल के लिए नौकरानी की बेटी को रख लिया था। नौकरानी ने 18 अगस्त को एसएसपी से मिलकर तहरीर दी थी कि भाजपा नेता ने उसकी बेटी के साथ मुंह काला किया। चुप रहने के लिए आतंकित भी किया।

दहशत की वजह से बेटी चुप्पी साधे रही। तबीयत बिगड़ने पर दून अस्पताल लाए तो पता चला कि उसकी बेटी गर्भवती है। एसएसपी के आदेश पर 20 अक्तूबर को भाजपा नेता और उसकी पत्नी के खिलाफ पटेलनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ।

पुलिस मामले को जांच में उलझाए रही और आरोपी अपनी पत्नी की तरफ से हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लेने में कामयाब हो गया। अब तक पुलिस ऐसी कोई कार्रवाई नहीं कर पाई, जिससे पीड़िता को राहत मिल सके। यह स्थिति तब है कि जबकि पीड़िता 164 के तहत अपने बयान दर्ज करा चुकी है।

पुलिस में जाना सबसे बड़ी गलती
पीड़ित परिवार में पुलिस के रवैए पर भारी आक्रोश है। पीड़िता की मां का कहना है कि पुलिस में जाना ही उनकी सबसे गलती रही है, क्योंकि उन्हें इंसाफ तो नहीं अपितु बदनामी जरूर मिल गई है। पूरा परिवार ऐसे भंवरजाल में फंसा है, जिससे निकलना बेहद कष्टकारी है। आरोप है कि पुलिस उन्हें न्याय दिलाने के बजाए आरोपी पक्ष को राहत देने में ज्यादा रुचि ले रही है। यही वजह है कि जांच को उलझाकर रखा गया है।

पुलिस नहीं करा पाई डीएनए मिलान

दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए पुलिस ने पीड़िता के गर्भ में पल रहे भ्रूण का डीएनए मिलान करने में रुचि नहीं दिखाई है। इस मामले में पीड़ित पक्ष की पैरोकारी कर रही नजमा खान का कहना है कि आरोप साबित करने के लिए इससे अच्छा माध्यम कोई नहीं हो सकता है। कई बार कहने के बाद विवेचक ने उनकी बात को तवज्जो नहीं दी है।

विवेचक स्तर पर क्या लापरवाही रही है, इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव कार्रवाई की जाएगी।

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