नई दिल्ली। लक्षद्वीप के मुद्दे पर पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है और अपनी चिंताओं को जाहिर किया है। बता दें कि लक्षद्वीप में लोग पिछले कुछ दिनों से द्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के हाल के कुछ कदमों और प्रशासनिक सुधारों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
93 पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को लिखे खत में लक्षद्वीप के हालात पर गौर करने की अपील की है। लक्षद्वीप के हाल के घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश के लिए ऐसा उचित विकास मॉडल सुनिश्चित किया जाए, जिसमें स्थानीय लोगों के विचार भी शामिल हों। पूर्व नौकरशाहों ने लक्षद्वीप के विकास मॉडल में शिक्षा, सुरक्षा और अच्छे शासन जैसे चीजों को जोड़े जाने की गुजारिश की है।
लक्षद्वीप में लोग पटेल के हाल के फैसले के खिलाफ एक जुट हो गए हैं। दरअसल, पटेल ने बीफ बेचने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। जबकि ज्यादातर आबादी इसका ही सेवन करती है, इसके अलावा पूरे लक्षद्वीप में शराब बेचने की इजाजत दी गई है, इस वजह से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हैं। दूसरी ओर लक्षद्वीप के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए पिछले दिनों केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जहां पटेल को वापस बुलाने और द्वीप के लोगों की जिंदगी और आजीविका को बचाने के लिए केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की गई है।
केरल के वामपंथी सांसदों ने 2 जून को तिरुवनंतपुरम में राजभवन के बाहर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था और लक्षद्वीप के प्रशासक पटेल को वापस बुलाने की मांग की थी। राज्यसभा सदस्यों, सीटू महासचिव इलामरम करीम, जॉन ब्रिट्टास, वी शिवदासन और लोकसभा सदस्यों थॉमस चाझिकडान और ए एम आरिफ ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। सांसदों ने प्रदर्शन के दौरान लक्षद्वीप बचाओ का नारा लगाया और प्रशासक को हटाने की मांग की थी।