लाल बत्ती बैन के विरोध में उतरीं उमा भारती
लखनऊ | केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती मंत्रियों के बीच ‘वीआईपी कल्चर’ को पूरी तरह खत्म करने के बजाय व्यक्तिगत दौरों को इससे दूर रखने की हिमायती हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आईं उमा भारती से सोमवार को संवाददाताओं ने पंजाब की अमरिंदर सिंह की सरकार द्वारा वीआईपी कल्चर को खत्म किए जाने का जिक्र किया, तो उन्होंने कहा, “मैं इस पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि मंत्री जब आवश्यक कार्य पर हो, जैसे बैठक में जा रहा हो, तब लालबत्ती वाहन का इस्तेमाल किए जाने के साथ यातायात को रोका जाना चाहिए और जरूरत पड़े तो फ्लाइट को भी रोका जाना चाहिए, क्योंकि अगर एक बैठक रद्द हो गई तो करोड़ों का नुकसान होगा, कई फैसले छह-छह माह के लिए लटक जाएंगे।”
उमा भारती ने कहा- लालबत्ती का इस्तेमाल न होने से हादसे भी बढ़ेंगे
उन्होंने आगे कहा कि लालबत्ती का इस्तेमाल न होने से हादसे भी बढ़ेंगे। लेकिन वह इतना जरूर मानती हैं कि अगर मंत्री किसी शादी या व्यक्तिगत काम से जा रहा हो तो उसे लालबत्ती के वाहन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, यातायात नहीं रोका जाए और न ही फ्लाइट को विलंब से चलाया जाए। अगर मंत्री दायित्व के निर्वहन के लिए जा रहे हैं तो उन्हें सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए।
उमा भारती की पहचान दो राज्यों-मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के नेता के तौर पर है। ऐसा क्यों? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “पिछला लोकसभा चुनाव हरिद्वार से लड़ाने का प्रस्ताव आया तो बड़ी खुश थी, क्योंकि मैं मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रही, उत्तर प्रदेश की विधायक रही और अब उत्तराखंड से सांसद होने वाली हूं, हो सकता है अगला चुनाव कर्नाटक या तामिलनाडु से लड़ने का विचार बन जाए।”
उमा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को मिली जीत का श्रेय मतदाताओं के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में आंधी थी तो विधानसभा चुनाव में तूफान आया, अगर इस जीत का श्रेय कोई और लेना चाहे तो यह ठीक नहीं होगा।
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उन्होंने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि समय गुजरने के साथ किसी नेता को मिले जनसमर्थन में गिरावट आती है, मगर प्रधानमंत्री मोदी के मामले में चढ़ाव आया है।
योगी आदित्यनाथ को पूर्वाचल में प्रभाव के चलते उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के सवाल पर उमा ने कहा, “योगी पूरे प्रदेश के नेता हैं और सब तरफ उनकी स्वीकार्यता है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उनका प्रभाव सिर्फ पूर्वाचल में है।”
योगी और उमा में कई मामलों के लेकर लगातार तुलना का दौर जारी है। दोनों में समानता तलाशी जा रही है, दोनों संन्यासी और भगवा वस्त्र धारी हैं, साथ ही सवाल भी उठ रहा है कि क्या योगी का कार्यकाल उमा भारती (लगभग एक वर्ष मप्र की मुख्यमंत्री) की तरह ही रहेगा? इसका जिक्र करते हुए उमा से जब पूछा गया कि क्या योगी उनसे सीख लेंगे, तो उमा ने कहा, “वो मुझ से ही सीख लेंगे, आप लोग चिंता मत करो, मैं उनके लिए प्रार्थना करूंगी।”
वर्ष 1994 में हुबली दंगों के मामले में न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर वर्ष 2004 में उमा को मुख्यमंत्री को कुर्सी छोड़ना पड़ी थी। उसके बाद वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाईं। उन्होंने तब कुछ नेताओं पर तरह-तरह के आरोप भी लगाए थे।
उमा भारती से एक पत्रकार ने पूछा कि जब आपको दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तब आपने शिवराज को ‘बच्चा चोर’ कहा था। इस पर उन्होंने कहा, “शिवराज को मैंने कभी बच्चा चोर नहीं कहा, जिस नेता को कहा था वह अब दुनिया में नहीं हैं।”