राष्ट्रीय
लोकल ट्रेनों में यात्रा करने वाले 40 लाख यात्रियों की जान खतरे में!


लोकल ट्रेनों की खामियां
रेल सेफ्टी कमिश्नर ने आरटीआई में दिए जवाब में लोकल ट्रेन के चलाने में कई खामियां गिनाईं। मसलन ट्रेन के डिब्बों के फिट टूर और ब्रेक पॉवर प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था नहीं है। ईएमयू में लगने वाले ज्यादातर कपलिंग, बेयरिंग और पहिए निम्न स्तर के हैं और रेल पटरी का रखरखाव तय मानक के मुताबिक नहीं है। नतीजा पिछले 3 साल में 17 रेल दुर्घटानाएं हो चुकी हैं।
दूसरे यात्रियों की सुरक्षा चाहते हैं
धवल के पिता मयूर लोडाया का कहना है कि हमारा बेटा तो चला गया लेकिन किसी और को अपना बेटा न खोना पड़े इसलिए वे रेल सुरक्षा को एक अभियान बनाना चाहते हैं। रेल सेफ्टी कमिश्नर के जवाब से साफ है कि मध्य रेल की लोकल में चलने वाले 40 लाख यात्रियों की जान जोखिम में है।
हालांकि मध्य रेल के विभागीय प्रबंधक अमिताभ ओझा ने कहा कि हम सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं। यही वजह है कि इस साल अभी तक सिर्फ 2 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। जो सुधार प्रशासन ने आवश्यक पाया है, चिंता की कोई बात नहीं है।