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लोजपा नेता बृजनाथी सिंह की हत्या के पीछे भूमि विवाद

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/brij-06-02-2016-1454772663_storyimageराघोपुर प्रखंड की फतेहपुर पंचायत के पूर्व मुखिया बृजनाथी सिंह की हत्या के पीछे भूमि विवाद कारण बताया जा रहा है। उनके भाई बद्रीनाथ सिंह द्वारा पटना पुलिस को दिए गए बयान से इस बात का खुलासा हुआ है। राघोपुर दियारे में गंगा नदी किनारे एक बड़े भूभाग को लेकर बृजनाथी सिंह और मुन्ना सिंह व सुबोध राय के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। इसको लेकर कई बार तीनों के बीच टकराहट हुई थी। सैकड़ों राउंड गोलियां चली थीं। राघोपुर दियारा क्षेत्र में बृजनाथी सिंह का भारी दबदबा था।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि  बृजनाथी सिंह की गंगा किनारे करीब सौ बीघे जमीन है और उस पर तरबूत, लालमी, ककड़ी और सब्जियों की खेती होती है। पुलिस का कहना है कि गंगा किनारे का करीब दो सौ बीघे जमीन है। इसमें बृजनाथी सिंह का अकेले सौ बीधे पर कब्जा है और बाकी बचे सौ बीधे में 50-50 बीघे में मुन्ना सिंह और सुबोध राय का कब्जा है। इसको लेकर मुन्ना सिंह और सुबोध राय को काफी मलाल रहता था। इसी के प्रतिशोध में घटना को अंजाम देने की बात सामने आ रही है। इधर वैशाली एसपी राकेश कुमार का कहना है कि बृजनाथी सिंह के खिलाफ करीब 21 मामले राघोपुर थाने में और तीन मामले बिदुपुर थाने में दर्ज हैं।

बृजनाथी सिंह के हत्यारों को पकड़ने के लिए बनी एसआईटी
लोजपा नेता बृजनाथी सिंह के हत्यारों को पकड़ने के लिए पटना सहित वैशाली जिला पुलिस ने एसआईटी की कई टीमें बनायी हैं। पटना एसएसपी मनु महराज के आदेश पर एसटीएफ की एक टीम शनिवार को हाजीपुर पहुंची और वैशाली एसपी राकेश कुमार से मुकालात की। एसपी ने पटना की एसटीएफ टीम को बृजनाथी सिंह के हत्यारों को पकड़ने के  लिए आवश्यक निर्देश दिए।

इधर वैशाली एसपी ने भी बृजनाथी सिंह के हत्यारों को पकड़ने के लिए एसआईटी की दो टीमें गठित की है। वैशाली एसपी द्वारा गठित एसआईटी पटना के एसटीएफ टीम के साथ मिलकर अपराधियों को दबोचेगी। एसआईटी की एक टीम राघोपुर में कैंप कर रही है और दूसरी टीम छापेमारी कर रही है। एसटीएफ की टीम मिले सुराग के आधार पर राधोपुर के बाहर छापेमारी कर रही है।

हत्या की योजना बनी थी राघोपुर में
बृजनाथी सिंह की हत्या की योजना राघोपुर में बनायी गई थी। बृजनाथी सिंह के भाई के द्वारा पुलिस को दिए बयान से यह साफ हो गया है कि जमीनी विवाद में बृजनाथी सिंह की हत्या हुई और इसकी योजना भी राघोपुर में बनायी गई। गोली मारने के लिए बाहर से शार्प शूटरों को बुलाया गया था।

बृजनाथी सिंह के मारने से पहले पूरी रेकी की गई। बृजनाथी सिंह के पटना से राघोपुर और राघोपुर से पटना आने-जाने की कई दिनों तक रेकी की गई उसके बाद शार्प शूटरों को बुलाकर एके-47 से भून दिया गया। रास्ते में एक ट्रैक्टर और पिकअप से उनकी रास्ता रोकने की बात भी कही जा रही है। पुलिस इस ओर भी अनुसंधान कर रही है। पुलिस ने मुन्ना सिंह और सुबोध राय के मोबाइल के सीडीआर भी निकाले हैं। उन दोनों के मोबाइल से किन-किन लोगों से बात हो रही थी इसकी भी पुलिस तफ्तीश कर रही है।  

बृजनाथी सिंह : सिपाही से बाहुबली तक का सफर
बृजनाथी सिंह बचपन से ही साहसी और निर्भीक थे। वे बिहार पुलिस में सिपाही के रूप में बहाल हुए थे। ट्रेनिंग लेने के बाद उनकी पोस्टिंग सुपौल जिला बल में हुई। 1986 की बात है कि सुपौल जिला बल में आने के बाद जब उनकी पोस्टिंग थाने में नहीं हुई तो वे घर जाने के लिए मेजर से छुप्ती मांगने गए। मेजर द्वारा इंकार किए जाने पर उन्होंने उनपर गोली चला दी। गोली मेजर के हाथ में लगी और वे जमीन पर गिर गए। उसमें उनकी जान तो बच गई लेकिन बृजनाथी सिंह ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी।

1995 में हवलदार की हत्या में आया था नाम
1995 में राघोपुर में एक जमीन के मामले में बृजनाथी सिंह को दूसरे पक्ष से एक हवलदार ने धमकी दी थी। हवलदार की हत्या कर दी गई थी जिसमें बृजनाथी सिंह का नाम उछला था। हवलदार की हत्या सहित 24 केस बृजनाथी सिंह के ऊपर है। पुलिस ने करीब कई केस में उन्हें आरोपी बनाया था। 2004 में बिदुपुर में नवंबर माह में एक पेट्रोल पंप की लूट घटना में उन्हें आरोपी बनाया गया था। 1997 में राघोपुर में जमीनी विवाद को लेकर गोलीबारी मामले में भी उनका नाम आया था।  2010 में तत्कालीन एसपी द्वारा सीसीए का प्रस्ताव भी भेजा गया था लेकिन बाद में उस प्रस्ताव को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद शुरू की थी ठेकेदारी
पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद बृजनाथी सिंह जब अपने इलाके राघोपुर में पहुंचे उनकी बड़े-बड़े इंजीनियरों और ठेकेदारों से इनकी गहरी दोस्ती हो गई। फिर उन्होंने राजनीति में कदम रखना शुरू किया और अपनी पंचायत के मुखिया बने थे।

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