वन लैंड डिमार्केशन पर सरकार को हाईकोर्ट का अहम निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग की अधिसूचना रद्द करते हुए मामला हाईकोर्ट को रिमांड बैक कर दिया था। हाईकोर्ट ने वन भूमि चिन्हित कर बाकी जमीन से वन भूमि संबंधी नोटिफिकेशन रद्द करने का आदेश दिया था, ताकि करौरां और नाडा क्षेत्र का सुनियोजित विकास हो सके। इसके बावजूद सरकार ने कोई ठोस फैसला नहीं लिया। इसी पर पंचायत ने अवमानना याचिका दायर की थी।
पंचायत ने राज्य के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना कार्रवाई की मांग की थी। प्रमुख सचिव से जवाब तलब किया गया था, लेकिन अभी तक डिमार्केशन के बारे में कोई ठोस फैसला नहीं लिया जा सका। अब जस्टिस ग्रोवर की बेंच ने तीन दिन में विवाद का हल निकाल कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
उपरोक्त निर्देश के साथ हाईकोर्ट ने यह जानकारी भी मांगी है कि करौरां के जोन-डी और एफ के डेवलपमेंट को अभी तक नोटिफाई क्यों नहीं किया गया? इस मामले में सरकार ने क्या कार्रवाई की है, उसकी प्रगति रिपोर्ट भी देने का आदेश भी दिया है।
सुनवाई के दौरान याची ग्राम पंचायत बारी-करोड़ां ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में जानबूझ कर देरी कर रही है। सरकार जल्द से जल्द यहां की वन भूमि तय करे ताकि स्थानीय निवासियों को बिजली, पानी और सीवरेज की मूलभूत सुविधाएं मिल सकें।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा है कि करौरां के जिन व्यक्तियों की इमारतें वन भूमि के दायरे में नहीं आती हैं, मोहाली जिला प्रशासन फिलहाल उन्हें बुनियादी सुविधा उपलब्ध करवाए।
जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि सीवर पाइपों से जुड़ा काम जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। अन्य सुविधाओं के लिए भी प्रशासन ने योजना बना ली है। हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि सीवरेज पाइपलाइन का काम पूरा होते ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य सुविधाएं मुहैया करवाए।
पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए बेंच ने कहा कि सरकार इस प्रकार आदेशों की अवमानना न करे। हाईकोर्ट के आदेशों के तहत ही यहां डिमार्केशन का काम होना चाहिए। ऐसे में डिमार्केशन की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए ताकि वन व गैर वन इलाके की पहचान की जा सके और गैर वन भूमि के दायरे में आती जगहों पर विकास कार्यों को पूरा किया जा सके।