दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने पुलिस महकमे को शर्मसार करने वाला काम किया है। दिल्ली को दुष्कर्म की घटनाओं से मुक्त करने का दावा करने वाली दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने ही 17 वर्षीय किशोरी के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया।
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के न्यू उस्मानपुर थाने इलाके में एक किशोरी अगवा होने के बाद अपने घर पहुंची तो सिपाही उसे थाने ले जाकर काउंसलिंग करने की बात कहकर घर से उसे अपने साथ बाइक पर बैठाकर ले गया। लेकिन सिपाही किशोरी को थाने न ले जाकर उस्मानपुर के खादर इलाके में ले गया, जहां उसने किशोरी के साथ दुष्कर्म किया।
मुंह बंद रखने के लिए दिया पैसे का लालच
इतना ही नहीं दुष्कर्म के बाद सिपाही ने पीड़िता को कुछ रुपये देकर अपना मुंह बंद रखने के लिए कहा और इसके बाद किशोरी को उसके घर के पास छोड़कर मौके से फरार हो गया। पीड़िता का परिवार जब शिकायत करने के लिए पीड़िता को लेकर थाने गया तो पुलिस ने भगा दिया, जैसे ही वारदात की सूचना स्थानीय लोगों को मिली उन्होंने थाने का घेराव कर दिया। कई घंटे तक लोगों ने हंगामा किया। मामला बढ़ता देख पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने आरोपित सिपाही को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही उसे बर्खास्त भी कर दिया है। डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर केस दर्ज कर आरोपित सिपाही को गिरफ्तार किया गया है।
पीड़िता को बहला-फुसलाकर ले गया था युवक
पुलिस के अनुसार, पीड़िता अपने परिवार के साथ उस्मानपुर इलाके में रहती है। परिवार में माता-पिता के अलावा अन्य सदस्य हैं। चार दिन पहले इलाके में रहने वाला एक युवक पीड़िता को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। पीड़िता के परिवार को एक युवक पर शक था, उन्होंने उसके परिवार से संपर्क भी किया। लेकिन उसका पता नहीं चला।
गत मंगलवार को पीड़िता खुद अपने घर वापस आ गई, परिवार पीड़िता को साथ लेकर बुधवार रात युवक द्वारा उसे अगवा करके साथ ले जाने की शिकायत लेकर थाने पहुंचा। पीड़ित परिवार का आरोप है कि रातभर पुलिस ने थाने में बैठाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं थाने में फैसला करने पर दबाव भी बनाया। बृहस्पतिवार सुबह परिवार थाने से वापस घर आ गया।
न्यू उस्मानपुर थाने में तैनात है सिपाही
परिजनों का आरोप है कि सुबह नौ बजे न्यू उस्मानपुर थाने में तैनात सिपाही विश्राम उनके घर पहुंचा और उसने पीड़िता की थाने ले जाकर काउंसलिंग करने की बात कर अपने साथ बाइक पर बैठाकर ले गया। जब पीछे से परिजन थाने पहुंचे तो न तो पीड़िता और न ही सिपाही थाने में मिला। उन्होंने सिपाही को कॉल किया गया तो उसका नंबर बंद था। कुछ देर इंतजार करने के बाद परिवार घर आ गया।