नई दिल्ली। केरल सरकार ने वामपंथी नेताओं पर दर्ज आपराधिक मुकदमे की वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य की वामपंथी सरकार ने हाई कोर्ट के 12 मार्च के फैसले को चुनौती दी है। मामला वर्ष 2015 का है जब तत्कालीन कांग्रेसनीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) सरकार के खिलाफ विपक्षी एलडीएफ सदस्यों ने हंगामा किया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की 29 जून को सुनवाई करेगी।
13 मार्च, 2015 को विधानसभा में अभूतपूर्व घटना हुई थी। तब विपक्षी वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के नेताओं ने राज्य के मंत्री केएम मणि को बजट पेश करने से रोकने का प्रयास किया था। मणि उस समय बार रिश्वत कांड में आरोपों का सामना कर रहे थे। एलडीएफ नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष के आसन के पास हंगामा करने के साथ-साथ पीठासीन अधिकारी की मेज पर रखे कंप्यूटर, कीबोर्ड और माइक को भी कथित तौर पर नुकसान पहुंचाया था। इसे लेकर एलडीएफ के तत्कालीन विधायकों व अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया गया था।
केरल सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में दावा किया है कि हाई कोर्ट ने यह नहीं माना कि जब विधानसभा सत्र चल रहा था तब यह कथित घटना हुई थी और स्पीकर की अनुमति के बगैर कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज कराया जा सकता। वकील जी. प्रकाश के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया है कि इसीलिए सीआरपीसी की धारा 321 के तहत दायर यह अर्जी स्वीकार किए जाने योग्य है।