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विकसित देशों के मुकाबले भारत में सीईओ पदों पर ज्यादा महिलाएं

दस्तक टाइम्स/एजेंसी
ceo_indiqaमुंबईः कंपनियों के निदेशक मंडल और उच्च प्रबंधकीय पदों पर देश में महिलाओं का प्रतिशत तेजी से सुधर रहा है और महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त करने के मामले में तो भारत दुनिया के विकसित देशों से काफी आगे निकल चुका है। क्रेडिट सुइस रिसर्च की सितंबर की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। दुनिया भर की तीन हजार कंपनियों के 28 हजार उच्च प्रबंधकीय पदों के आंकड़ों के आधार पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सीईओ के पदों पर महिलाओं का प्रतिशत 8.9 है जबकि वैश्विक औसत 3.9 प्रतिशत का है। विकसित देशों में अमेरिका में मात्र 3.5 प्रतिशत सीईओ महिला हैं। जर्मनी, जापान और फ्रांस में इनका प्रतिशत शून्य बताया गया है जबकि ब्रिटेन में 5.1 प्रतिशत सीईओ पदों पर महिलाएं नियुक्त हैं। रूस में इनका प्रतिशत 2.4 और ऑस्ट्रेलिया में 4.5 है। चीन में 3.2 प्रतिशत सीईओ महिला हैं। महिला सीईओ के मामले में भारत से आगे सिर्फ पुर्तगाल (33.3 प्रतिशत), बेल्जियम (16.7 प्रतिशत), सिंगापुर (15 प्रतिशत), नीदरलैंड (12.5 प्रतिशत), हांगकांग (12.5 प्रतिशत), थाईलैंड (12.5 प्रतिशत) तथा इंडोनेशिया (11.8 प्रतिशत) हैं।
रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर सीईओ पदों पर महिलाओं की कम भागीदारी पर कहा गया है कि हालांकि, वरिष्ठ प्रबंधकीय पदों पर और निदेशक मंडलों में महिलाओं का प्रतिशत लगभग एक समान है, लेकिन जिम्मेदारी देने के मामले में उनसे भेदभाव किया जाता है और उनके हिस्से में कम प्रभाव वाले पद ज्यादा आते हैं। यही कारण है कि उच्च प्रबंधन में महिलाओं की भागीदारी वैश्विक स्तर पर 12.9 प्रतिशत है, लेकिन सीईओ के पदों पर उनका प्रतिशत मात्र 3.9 प्रतिशत है। रिपोर्ट में एक अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में भारत में महिलाओं को आरक्षण देने से गांवों में भी लोग अपनी बेटियों को पढ़ा रहे हैं और उनके करियर को लेकर गंभीरता बढ़ी है। इसके परिणाम स्वरूप कंपनियों के निदेशक मंडल और उच्च पदों पर महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में निदेशक मंडलों में महिलाओं की संख्या 2010 में 5.5 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011, 2012 और 2013 में बढ़ती हुई क्रमश: 5.8 प्रतिशत, 6.2 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत पर पहुँच गयी। रिपोर्ट के मुताबिक जिन कंपनियों में महिलाएं प्रमुख होती हैं उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। साथ ही ऐसी कंपनियां लाभांश भी ज्यादा देती हैं।

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