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विश्वप्रसिद्ध बिजनेसमैन बिल गेट्स ने कहा-आधार कार्ड से प्राइवेसी को खतरा नहीं


नई दिल्ली : विश्वप्रसिद्ध बिजनेसमैन बिल गेट्स ने आधार की अच्‍छाइयां गिनाईं और कहा कि इससे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले फर्जी लोगों की पहचान की जा सकती है।यह केवल पहचान का एक जरिया है। गौरतलब है कि आधार कार्ड को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में है और ऐसे में गेट्स का बयान सरकार के लिए राहत भरा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक पीठ ने चार महीने की लगातार सुनवाई के बाद चार मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार ने बैंक खातों, पैन कार्ड, मोबाइल, पासपोर्ट, राशन सहित कई सरकारी कामों में आधार को अनिवार्य कर रखा है, इन्‍हीं को लेकर मामला कोर्ट में गया है।
बिल गेट्स से पूछा गया कि डेटा को लेकर भारत और दुनिया में बहस चल रही है, आप आधार के पक्षधर रहे हैं। क्या प्रत्येक नागरिक के लिए हर सेवा के लिए इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए, क्योंकि आधार की कल्पना सरकारी सब्सिडी में होने वाली लीकेज को रोकने के लिए की गई थी। इस संदर्भ में सवाल उठता है कि मामला जब कोर्ट में है तो क्या आधार को सभी सेवाओं से जोड़ना सही है? इस पर उन्‍होंने कहा कि आधार एक ऐसी चीज है जो आपको किसी की नकल करने से रोकता है जैसे कि सरकारी योजनाओं में फर्जी लोग हो सकते हैं।आधार आपको फर्जी लोगों को सरकारी दस्‍तावेजों में होने से रोकता है। गेट्स ने कहा, यह(आधार) आपको उन चीजों को एकत्रित करने से रोकता है जो आपको नहीं करनी चाहिए, जैसे कि ऐसे हेल्थ रिकॉर्ड तक आपकी पहुंच न हो जिन तक आपकी पहुंच नहीं होनी चाहिए। तो आधार मूल रुप से पहचान के लिए है इसलिए अगर किसी को लगता है कि आधार निजता के लिए समस्या है तो यह बहुत गलत है। निजता का मुद्दा एप्लिकेशन के बारे में है, अगर आप टैक्स भरने और अपने लाभ के लिए आधार का इस्तेमाल कर रहे हैं उस जानकारी तक किसकी पहुंच है, विचार यह है कि आपके पास एक पहचान है- वह केवल कुछ दार्शनिक चीजों में है- ये 12 अंकों का नंबर है। गेट्स ने आगे कहा कि इस एप्लिकेशन के जरिए जमीन की रजिस्ट्री, वोटिंग प्राइवेसी अथवा मेडिकल प्राइवेसी रिपोर्ट जैसी चीजें शामिल हैं, यह देखना अजीब है कि गोपनीयता के मुद्दे को किस तरह से परिभाषित किया जा रहा है जैसे सरकारी पेरोल पर फर्जी और डुप्लीकेट लोगों का होना सही है, इन पर कितना पैसा और भरोसा जाया हो जाता है. अब मिडिलमैन की बात करते हैं जब अमीर लोग इन सुविधाओं का लाभ लेने लगते हैं और पूरे धन पर कब्जा जमा लेते हैं तो फिर भरोसा खत्‍म हो जाता है। इस तरह नाकाबिल होना बहुत अन्यायपूर्ण है इसलिए सुविधाओं के लिए होने वाली विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी कम हुई है, अगर लोग सरकारी गुणवत्ता की परवाह करते हैं तो यह बहुत बड़ी बात है। बता दें कि नवंबर 2016 में नीति आयोग के एक कार्यक्रम में गेटस ने कहा था कि आधार जैसी चीज किसी भी सरकार ने शुरू नहीं की, यहां तक कि अमीर देशों में भी नहीं।

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