रायपुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में नक्सली हमले में 76 पुलिसकर्मियों की मौत के मामले में अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने माओवादियों द्वारा जारी किए गए वीडियो के माध्यम से दोषियों को सजा दिलाने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के ताड़मेटला में पांच साल पहले छह अप्रैल 2010 में नक्सलियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला कर दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों समेत 76 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। यह हमला देश में नक्सलियों द्वारा पुलिस दल पर किया गया सबसे बड़ा हमला था। पुलिस दल पर हुए हमले की जांच कर रही पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया लेकिन अभी तक इस मामले में किसी भी आरोपी को सजा नहीं हुई है। अब सीआरपीएफ ने घटना के बाद नक्सलियों द्वारा जारी वीडियो के माध्यम से ही आरोपियों तक पहुंचने की योजना बनाई है।
राज्य में सीआरपीएफ के दूसरी बटालियन के कमांडेट वीवीएन प्रसन्ना बताते हैं कि उन्होंने राज्य की पुलिस से अनुरोध किया है कि इस हमले के बाद नक्सलियों ने जो वीडियो जारी किया था उसे सबूत के तौर इस्तेमाल किया जाए और उसमें दिख रहे नक्सलियों की पहचान की जाए। सन्ना ने बताया कि नक्सलियों ने इस हमले को अंजाम देने के दौरान वीडियो भी बनाया था। इसे हमले के कुछ दिनों बाद अपने साथियों के बीच वितरित किया था। इस वीडियो में पुलिस दल पर नक्सली हमले, हमले के बाद हथियारों की लूट और हमले के दौरान मारे गए नक्सलियों के अंतिम संस्कार के दृश्य हैं। प्रसन्ना ने बताया कि इस हमले के लगभग एक महीने बाद पुलिस ने इस मामले में 90 लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से आसपास में रहने वाले 10 ग्रामीणों को गिरफ्तार भी किया गया। सबूतों के अभाव में वे 2013 में दंतेवाड़ा के स्थानीय अदालत से बरी हो गए।