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वैज्ञानिक का दावा, 1 लाख साल में पहली बार इस साल आर्कटिक से गायब हो जाएगी बर्फ

कैम्ब्रिज
आज पर्यावरण दिवस पर पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से परेशान करने वाली खबर आई है। पिछले 1 लाख साल के दौरान जो नहीं हुआ, वह शायद अब आर्कटिक में हो सकता है। एक जाने-माने वैज्ञानिक ने दावा किया है कि इस साल या फिर अगले साल आर्कटिक समुद्र की बर्फ खत्म हो सकती है। बता दें कि पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के आसपास के इलाके को आर्कटिक कहा जाता है।

Animals_Beasts_Arctic_fox_026563_अमेरिका के नैशनल स्नो ऐंड आइस डेटा सेंटर द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में यह बात सामने आई है। तस्वीरों से पता चला है कि इस साल 1 जून तक आर्कटिक समुद्र के केवल 11.1 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर इलाके में ही बर्फ बची है। पिछले 30 साल का औसत 12.7 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर था।

आप इस 1.5 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर के अंतर को ज्यादा अच्छे से इस तरह समझ सकते हैं कि यह 1.5 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर का इलाका पूरे यूनाइटेड किंगडम को 6 बार जोड़ने के बराबर है। डेटा के दौरान पिछले 30 साल के दौरान इतने बड़े इलाके से बर्फ गायब हो गई है।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के पोलर ओसेन फिजिक्स ग्रुप के प्रमुख प्रफेसर पीटर वडहम्स ने द इंडिपेंडेंट अखबार को बताया कि ताजा डेटा से उनके 4 साल पहले लगाए गए अनुमान को पुष्टि मिली है। उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुमान है कि आर्कटिक की बर्फ गायब हो सकती है। इस साल सितंबर तक इसके पास 10 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर के इलाके से भी कम बर्फ रह जाएगी।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर बर्फ पूरी तरह से गायब नहीं भी होती है, तो बहुत संभव है कि इस साल वहां बर्फ रेकॉर्ड रूप से कम होगी। मैं पूरी तरह से निश्चित हूं कि वहां 3.4 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर, जो कि अब तक का सबसे कम रेकॉर्ड है, से भी कम बर्फ बचेगी।’ उन्होंने अपने अनुमान को साफ करते हुए कहा, ‘बर्फ के बिना मतलब है कि आर्कटिक और उत्तरी ध्रुव पर बर्फ नहीं होगी।’

Icebergs, Greenland
Icebergs, Greenland

माना जाता है कि 1 लाख से 1 लाख 20 हजार साल पहले आखिरी बार आर्कटिक में बर्फ खत्म हुई थी। ध्रुवीय इलाके में तेजी से बढ़ते तापमान को इसके पीछे कारण बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसी के कारण ब्रिटेन में बाढ़ आ रही है और अमेरिका में बेमौसम तूफान आते हैं।

आर्कटिक समुद्र की बर्फ सितंबर के महीने में सबसे कम होती है। फिर सर्दियों में बर्फ जम जाती है। बर्फ खत्म होने का मतलब है दुनियाभर का तापमान बढ़ जाएगा और मौसम में कई तरह के आकस्मिक बदलाव होंगे। समुद्र पर बर्फ की मोटी परत नहीं होने से पानी सूर्य की किरणों को ज्यादा मात्रा में सोखेगा और ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति बदतर हो जाएगी।

बता दें कि आर्कटिक क्षेत्र में आर्कटिक महासागर, कनाडा का कुछ हिस्सा, ग्रीनलैंड (डेनमार्क का एक क्षेत्र), रूस का कुछ हिस्सा, संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का), आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड शामिल हैं।

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