रांची : झारखंड में फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान महिलाओं के लिए सम्मानजन आजीविका का वरदान बनता जा रहा है. इस अभियान से अब तक 13 हजार से अधिक महिलाएं जुडकर शराब, हड़िया (एक प्रकार का नशीला पेय) का निर्माण छोडकर सम्मानजनक आजीविका के साधन से जुड़ चुकी हैं. ग्रामीण विकास विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि इस अभियान का मकसद वैसी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका से जोड़ना है जो मजबूरीवश शराब, हड़िया निर्माण और बिक्री से जुड़ी हैं.
कोलेबिरा प्रखंड के कोम्बाकेरा गांव की सोमानी देवी पहले हड़िया, शराब बेचती थी और लोगों के बुरे व्यवहार को झेलती थीं. आज उसी हाट-बाजार में अपने होटल का संचालन कर रही हैं. सोमानी केवल एक ही ऐसी महिला नहीं हैं, जो आज सम्मान के साथ व्यवसाय कर रही हैं. करीब एक वर्ष पूर्व प्रारंभ किए गए इस अभियान से अब तक 13,356 ग्रामीण महिलाएं सम्मानजनक आजीविका के साधन से जुड़ चुकी हैं. इस अभियान के तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों में सर्वेक्षण कर शराब, हड़िया की बिक्री एवं निर्माण से जुड़ीं करीब 15,456 ग्रामीण महिलाओं को चिन्हिंत किया गया है.
जेएसएलपीएस की सीईओ नैन्सी सहाय कहती हैं, ‘फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान अंतर्गत काउंसेलिंग कर शराब, हड़िया बिक्री करने वाली महिलाओं को स्थानीय संसाधनों के आधार पर सशक्त आजीविका उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके तहत, ब्याजमुक्त कर्ज का भी प्रावधान है, जिससे ये महिलाएं अपनी जीविका के लिए उद्यम शुरू कर अच्छी आमदनी कर रही हैं.’ एक अधिकारी ने बताया कि चिन्हित महिलाओं को पहले काउंसेलिंग कर स्वयं सहायता समूह (सखी मंडल) से जोड़ा जाता है और फिर उन्हें ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराकर सम्मानजनक आजीविका अपनाने की राह दिखाई जाती है।
झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) द्वारा चलाए गए इस अभियान से महिलाओं को उनकी इच्छानुसार स्थानीय संसाधनों के आधार पर वैकल्पिक आजीविका के साधनों, कृषि आधारित आजीविका, पशुपालन, वनोपज संग्रहण, मछली पालन, रेशम उत्पादन, मुर्गीपालन, वनोत्पाद से जुड़े कार्य एवं सूक्ष्म उद्यमों आदि से जोड़ा जा रहा है.