17 माह पहले शास्त्रीनगर में वीभत्स हादसे में जान गंवाने वाली सराफ सुभाष चंद की पुत्री कनक की याद फिर ताजा हो गई। झकझोर देने वाली इस घटना की तस्वीर और वीडियो देखकर तब लोगों की रूह कांप गई थी। कनक का शरीर दो भागों में बंट गया था और वह अपनी मां राजेश से बचाने की गुहार लगा रही थी। रविवार को राजेश ने एक बेटी को जन्म दिया। परिजन इसे कनक के लौट आने के रूप में देख रहे हैं। इसका नाम ओमशक्ति रखा गया है।
यह थी घटना
एल ब्लॉक शास्त्रीनगर निवासी सुभाष चंद की एल ब्लॉक चौराहे के पास ओम ज्वैलर्स के नाम से शॉप है। इनकी बेटी कनक (14) एमपीजीएस में कक्षा दस की छात्रा थी। 24 मई 2017 को वह अपने दादा जगदीश प्रसाद (65) के साथ स्कूटी पर ट्यूशन जा रही थी। पीवीएस रोड पर तेज रफ्तार ट्रक ने इन्हें रौंद दिया था। ट्रक कनक और उसके दादा को रौंदते हुए गुजरा तो उसका शरीर दो भागों में बंट गया। मौके पर पहुंची मां राजेश से कनक गुहार लगा रही थी, ‘मम्मी मुझे बचा लो, मेरे भैया को बुला दो’। 45 मिनट बाद उसने अस्पताल में दम तोड़ा था और दादा की आठ दिन बाद एम्स में मौत हुई थी।
‘सपने में बेटी कहती थी, मम्मी मैं आ रही हूं’
बेटी को जन्म देने के बाद राजेश ने कहा, मुझे चार या पांच दिन में सपने में आकर बेटी कनक आंसू पोंछती थी और कहती थी मैं आ रही हूं। कई बार सुभाष को भी बेटी सपने में दिखाई दी। सुभाष कहते हैं, बेटी पाने के लिए उन्होंने वैष्णो देवी में मन्नत मांगी। मेहंदीपुर में श्रीबालाजी के मंदिर भी गए।
इच्छा थी दोबारा लाएंगे कनक
रविवार सुबह निजी अस्पताल में राजेश ने बेटी को जन्म दिया। मां, पिता सुभाष और दोनों भाई अक्षय व सौरभ काफी खुश हैं। सुभाष ने बताया कि उन्होंने बेटी को दोबारा पाने का फैसला किया था। अब घर का सूना आंगन भर गया है। सुभाष ने बताया कि पहली बेटी का नाम कनक था। लेकिन दूसरी बेटी का ओम शक्ति नाम रखा है क्योंकि शक्ति ने बहुत विश्वास जगाया है। हमारे सपने को तोड़ा नहीं है। जो सपने में दिखाई देता था, वह साकार हो गया।
आभार जताया
शास्त्रीनगर में 24 मई 2017 को हादसे के बाद अमर उजाला ने सड़क सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया था। अभियान के बाद पुलिस ने नो एंट्री में भारी वाहनों की एंट्री रोकी तो मौत की रफ्तार भी थम गई। सुभाष इस अभियान के लिए अमर उजाला का धन्यवाद करते हैं।
भाजपा नेताओं पर अनदेखी का आरोप
सुभाष का आरोप है कि कनक के नाम पर भाजपा नेताओं ने खूब राजनीति की थी। सांसद और जिले के प्रभारी मंत्री से भी कई बार मिलकर मदद मांगी। लेकिन आर्थिक सहायता के साथ प्रशासन से मदद कराने के वादे पूरे नहीं किए।