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…शहीद कमांडो के परिवार को सम्मानित करते वक्त भावुक हुए राष्ट्रपति कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उस समय भावुक हो गए जब गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहीद गरुड़ कमांडो जेपी निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित करने के लिए उनकी मां और पत्नी को मंच पर आमंत्रित किया गया.

झंडारोहण और राष्ट्रगान के बाद शांति काल के सबसे बड़े सैन्य पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. इसके लिए जब मंच पर शहीद जेपी निराला की मां और पत्नी को आमंत्रित किया गया तो इस दौरान उनकी साहसिक कारनामे का जिक्र भी किया गया.  

शहीद की मां और पत्नी को सम्मान हासिल करते आते देखने के दौरान राष्ट्रपति भावुक हो गए और उन्हें अशोक चक्र सम्मानित किए जाने के बाद जब वह बैठे तो उनकी आंखों में आंसू थे. शहीद की मां और पत्नी के जाने के बाद उन्होंने रुमाल निकालकर अपने आंसू पोछे.

अशोक चक्र पाने वाले वायुसेना के पहले गरुड़ कमांडो

भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी गरुड़ कमांडो को अशोक चक्र से नवाजा गया है. गरुड़ कमांडो जेपी निराला तीन महीने पहले ही आतंकरोधी अभियान के तहत स्पेशल ड्यूटी पर कश्मीर के हाजिन में सेना के साथ तैनात थे. श्रीनगर में इसी ऑपरेशन के दौरान सेना की तरफ से की गई कर्रवाई में आतंकी मसूद अजहर के भतीजे तल्हा रशीद को मारा गया था.

कमांडो निराला अपने माता-पिता के एकलौते बेटे थे. परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी सुषमा और 4 साल की बेटी जिज्ञासा हैं. उनकी पत्नी सुषमा ने आज तक को बताया कि वह हमेशा वीरता की बातें करते थे. उनकी 8 साल की सर्विस हुई थी. जुलाई 2017 में उन्हें कश्मीर जाने का मौका मिला.

उनकी पत्नी का कहना है कि वह उनसे अक्सर कहते थे कि वह रहें या ना रहें तुम्हें आत्मनिर्भर बनना होगा. उनके भरोसे नहीं रहना है. वह देश की सेवा के लिए हैं, देश उनका पहला कर्तव्य है.

उनकी पत्नी ने बताया कि उनकी आखिरी बार उनसे 17 नवंबर 2017 को बात हुई थी. बेटी जिज्ञासा भी अपने पिता के पदचिन्हों पर आगे चलेगी जैसे उनके पति ने देश का नाम रोशन किया वैसे ही उनकी बेटी भी देश का नाम रोशन करेगी.

शहीद निराला के पिता तेजनारायण ने बताया कि उनका एकलौता बेटा था लेकिन आज उन्हें गर्व है कि वह देश पर शहीद हो गया. उसने अपना जीवन देश पर कुर्बान किया.

आतंकियों को मार गिराया

सुरक्षा बलों को जिले में हाजिन इलाके के चंदरगीर गांव में आतंकियों के होने की खुफिया जानकारी मिली थी. इसके बाद उन्होंने वहां घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया. तलाशी अभियान के बीच तब मुठभेड़ शुरू हो गई, जब वहां छिपे आतंकियों ने सुरक्षा बलों के तलाशी दल पर गोलीबारी की.

आतंकियों से मुकाबला करने लिए जेपी निराला अपनी एके 47 राइफल से आतंकियों पर कहर बनकर टूट पड़े और तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. इस मुठभेड़ में लश्कर के छह आतंकियों को मार गिराया गया. साल 2017 में आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन में तीन गरुड़ कमांडो शहीद हुए.

शहीद निराला बिहार के रोहतास के रहने वाले थे. वे साल 2005 में वायु सेना में शामिल हुए. जेपी निराला के परिवार में उनकी बहनें और माता-पिता हैं. मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित करके पूरे देश ने उनकी शहादत को सलाम किया है.

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