शहीद सुरेन्द्र तक्षक : आज सायं 4 बजे दिल्ली पहुंचेगी पार्थिव देह


वीर सपूत सुरेन्द्रसिंह तक्षक अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान थे। शहीद का छोटा भाई राजेश तक्षक मेडिकल अनफिट होने के चलते सेवानिवृत्ति के पश्चात द्वितीय श्रेणी अध्यापक की नौकरी कर रहे हैं। पिता कर्मवीर तक्षक साधारण किसान व माता भतेरीदेवी गृहणी हैं।
शहीद की दो संतानों में बड़ा पुत्र दीपांशु तक्षक उर्फ दीपक (7) एवं बेटी निशा तक्षक (5) वर्ष की है। शहीद की पत्नि प्रतिज्ञा देवी 12वीं पास है। परिवार के सदस्यों ने बताया कि शहीद सुरेन्द्र 30 जुलाई से 19 अगस्त तक 20 दिनों की छुट्टी काटकर गया था। सुरेन्द्र दौसा जिले में सीधी भर्ती के दौरान 2003 में सेना में भर्ती हुआ था।
नासिक हैडक्वाटर में ट्रेनिंग कर पिछले एक वर्ष से कश्मीर में तैनात था। गौरतलब है कि उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में सेना के शहीद चार जवानों में एक सुरेन्द्रसिंह तक्षक भी है। हंदवाड़ा के हफरूदा जंगल में जैश ए मोहम्मद संगठन के आतंकियों की मुठभेड़ में चार सैनिकों के साथ एक आतंकी भी मारा गया था।
जाट बहरोड़ गांव में दो ब्रिगेडियर एवं दो कर्नल सहित करीब 800 सेवानिवृत सेना के अधिकारी व सैनिक हैं। वर्तमान में भी करीब 500 पांच युवक भारतीय सेना व पैरामिलट्री में कार्यरत हैं।
स्थानीय सरपंच प्रतिभा तक्षक के पति रमेश तक्षक ने बताया कि गांव में बाबा भगवानदास की मान्यता के चलते देश के साथ हुए युद्धों एवं अन्य कार्रवाईयों में गांव के प्रतिनिधि होने के बावजूद अभि तक कोई शहीद नहीं हुए। सुरेन्द्रसिंह तक्षक गांव का पहला शहीद है।
बड़े ओहदे पर भी रहे सैनिकों के गांव में शहीद होने की सूचना से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है। देश रक्षा के लिए आतंकियों को मुहंतोड़ जबाब देने वाले गांव के सपूत सुरेन्द्रसिंह तक्षक के परिजनों को दु:ख की घड़ी में ग्रामीण हिम्मत से काम लेने की बात करते हुए गौरवान्वित होने की सीख देते हुए देखे गए।
जाट बहरोड़ गांव के निवासी रहे ब्रिगेडियर घासीराम के नाम पर तो भरतपुर शहर में एक मार्ग का नामकरण भी रखा हुआ है। गांव में ब्रिगेडियर छतरसिंह ने भी बड़े ओहदे पर रह कर गांव का नाम गौरवान्वित कर चुके हैं। वर्तमान में भी सेना के प्रति ग्रामीणों का रुझान है।
शहीद सुरेन्द्रसिंह तक्षक के शहीद होने की सूचना पर दिनभर ग्रामीणों सहित स्थानीय लागों का तांता लगा रहा।
शहीद के परिजनों को दिनभर ढांढस बंधाने वालों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिजेन्द्र महलावत, स्थानीय सरपंच प्रतिभा तक्षक, उपसरपंच ब्रजमोहन सैन, रमेश तक्षक, उमरावसिंह, ब्रह्मप्रकाश तक्षक, जयसिंह कानूनगो, रघुनाथ मास्टर, रामचन्द्र तक्षक, बीबीडी महाविद्यालय निदेशक सुभाष चौधरी, शाहजहांपुर पीजी कॉलेज निदेशक डॉ. चरणसिंह चौधरी सहित बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।
शहीद की सूचना परिजनों सहित सभी को होने के बावजूद सैनिक कल्याण बोर्ड बहरोड़ के अलावा काई भी प्रशासनिक अधिकारी सहित स्थानीय पुलिस प्रशासन का शहीद के घर नहीं पहुंचना भी ग्रामीणों में चर्चा का विषय रहा।
शहीद की सूचना पर घर के सदस्यों का बार-बार अचेत होने सहित मांशिक रूप से परेशानी झेलने की सार संभाल लेने कोई चिकित्सकीय दल ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।