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शामली में 12 वर्षों से नहीं हुई गन्ना किसान गोष्ठी, मंत्री ने जतायी नाराजगी

लखनऊ। प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेश राणा ने कहा कि सीमित संसाधनों व कम खर्चों में गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक किसानों को उच्च प्रजाति के बीज उपलब्ध करायें और नवीन तकनीक की किसानों को जानकारी देते रहें, जिससे किसान अधिक से अधिक गन्ना उपज से आय बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि उ.प्र. के गन्ना शोध केन्द्र एक ऐसी उच्च गुणवत्ता प्रजाति के बीज को लेकर आयें जिससे इसकी चर्चा पूरे देश में हो तथा प्रधानमंत्री इसकी प्रशंसा स्वयं करें। शोध का लाभ किसानों व समाज को मिले। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों की समस्याओं को जानने के लिए अधिक से अधिक किसान गोष्ठियों का आयोजन करें। शामली में बीते 12 वर्षों में कोई गोष्ठी नहीं करने पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जतायी। गन्ना मंत्री ने गन्ना संस्थान में आयोजित गन्ना शोध केन्द्र के अधिकारियों के साथ बैठक में गन्ना शोध केन्द्र की क्या-क्या समस्याएं हैं, शोध केन्द्र में वैज्ञानिक कितने हैं, आवास सुविधा है या नहीं, केन्द्र की जमीन पर किसी का कब्जा तो नहीं, केन्द्र कितने क्षेत्रफल में है आदि की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने कहा कि शोघ केन्द्रों का दौरा कर स्थलीय निरीक्षण करेंगे।
 राणा ने गन्ना शोध केन्द्र शाहजहांपुर, कुशीनगर, गोरखपुर, गाजीपुर, सुल्तानपुर, मुजफ्फरनगर, लखीमपुर एवं बलरामपुर के विगत वर्षों में शोध के क्षेत्र में की गई उपलब्धियों के बारे में, क्या कार्य रहे हैं, किसानांे को जागरूक करने के लिए कितनी गोष्ठियों आयोजन कर किसानों को जागरूक किया, उनके शोध से समाज को क्या लाभ पहुंचा प्रत्येक बिन्दु पर गहन समीक्षा की। उन्होंने इसके अतिरिक्त निदेशक द्वारा केन्द्र का दौरा न करने पर नाराजगी प्रकट की तथा निर्देश दिया कि निदेशक प्रत्येक केन्द्र नियमित दौरा करें। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाएगी, जिससे सभी शोध केन्द्र के अधिकारी एक शोध केन्द्र का दौरा कर उस केन्द्र में हो रहे कार्यों की समीक्षा करें। राणा ने शोध केन्द्रों को दिए पैसों का कहां खर्च किया गया प्रत्येक केन्द्र से विस्तृत जानकारी ली।

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