अद्धयात्म

शिव के क्रोध से प्रकट हुई थीं ये देवी, आज तक गर्म है यहां का पानी

1-17-09-2015-1442473782_storyimageहिमाचल प्रदेश में एक प्रसिद्ध तथा अत्यंत प्राचीन तीर्थ है मणिकर्ण। यहां पार्वती नदी भी बहती है जिसके एक ओर शिवजी का मंदिर तो दूसरी तरफ गुरुद्वारा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला था। एक बार मां पार्वती यहां नदी में स्नान कर रही थीं। तब उनके कान की मणि जल में गिर गई।

जल में प्रवेश करने के बाद वह मणि पाताल लोक में चली गई। मणि खोने की बात पार्वती ने शिवजी को बताई। शिवजी ने अपने गणों को आदेश दिया कि वे मणि ढूंढकर लाएं। जब मणि नहीं मिली तो क्रोधित शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला

इस नेत्र से नयना देवी प्रकट हुईं। इस कारण यह स्थान मां नयना देवी का अवतरण स्थल माना जाता है। वे पाताल लोक में गईं और उन्होंने शेषनाग से मणि कहा कि वह मां पार्वती की मणि लौटा दें।

शेषनाग ने वह मणि लौटा दी। साथ ही शिवजी की प्रसन्नता के लिए और भी कई मणियां भेज दीं। उन मणियों में से मां पार्वती ने अपनी मणि पहचान ली और शेष सभी मणियां भगवान ने नदी में डाल दीं।

शिवजी के मंदिर के पास यहां गर्म पानी का स्रोत है। वहीं, पार्वती नदी का जल शीतल है। लोग गर्म पानी से स्नान करने के लिए नदी का शीतल जल उसमें डालते हैं। यह पानी इतना गर्म होता है कि उसमें चावल और आलू कुछ ही मिनटों में पक जाते हैं। भक्तों के अनुसार, यह भगवान शिव का चमत्कार और मां पार्वती की कृपा है।

 

 

 

 

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