अद्धयात्म

श्राद्ध में भूलकर भी न करें ऐसे काम, इनसे मिलता है अशुभ फल

ब्र3-1438289144ह्मपुराण में कहा गया है – आयुः प्रजां धनं विद्यां स्वर्गं मोक्षं सुखानि च। प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितरः श्राद्ध तर्पिता। यानी श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुए पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, विद्या, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष तथा स्वर्ग आदि प्रदान करते हैं। आगे पढ़िए, श्राद्ध में किन बातों का ध्यान न रखने से पितृदेव कुपित हो सकते हैं।

श्राद्ध केवल अपराह्न काल में ही करें। श्राद्ध में तीन वस्तुएं पवित्र हैं- दुहिता पुत्र, कुपतकाल (दिन का आठवां भाग) तथा काले तिल।

 

श्राद्ध में तीन प्रशंसनीय बातें हैं- बाहर-भीतर की शुद्धि, क्रोध नहीं करना तथा जल्दबाजी नहीं करना। पद्मपुराण के अनुसार, श्राद्ध का दिखावा नहीं करना चाहिए। उसे गुप्त रूप से एकांत में करें। धनी होने पर भी उसका विस्तार नहीं करें।

 

भोजन के माध्यम से मित्रता, सामाजिक या व्यापारिक संबंध स्थापित न करें। इससे शुभ परिणाम नहीं मिलता।

 

इस दौरान मांगलिक कार्य, शुभ कार्य, विवाह और विवाह की बात चलाना वर्जित होता है। श्राद्ध पक्ष संपूर्ण होने के बाद ही इनसे जुड़े कार्य शुभ फल देते हैं। इन्हें श्राद्ध में नहीं करना चाहिए।

 

 

 

 

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