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संघ का ये बड़ा काम कर गई असम में बीजेपी की आज की ये जीत..!

एजेंसी/

INDIA - JANUARY 09:  KS Sudarshan, Rashtriya Swayamsewak Sangh (RSS) Sarsanghchalak and RSS Members at 29th RSS Vishwa Sangh sivir in Ahmedabad, Gujarat, India  (Photo by Shailesh Raval/The India Today Group/Getty Images)

राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के संस्‍थापक डॉ.केशवराव बलिराम हेडगेवार ने कभी अखंड सांस्‍कृतिक भारत का सपना देखा था। बाद में सांस्‍कृतिक रूप से अखंड देश में राजनीतिक एकरूपता की संभावना को श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में जनसंघ की स्‍थापना के साथ जन्‍म दिया। जनसंघ से बीजेपी अस्‍तित्‍व में आई और वह संघ के राजनीतिक अनुषांगिक संगठन का न केवल चेहरा बन गई बल्‍कि उसके प्रयासों और सपनों को साकार करने वाली राजनीतिक ताकत भी बनी।

बहरहाल,  देश को राजनीतिक और सांस्‍कृतिक एकरूपता के जामे में प्रवेश दिलाने का संघ का पुराना सपना है। पांच राज्‍यों के चुनावों में पहली बार असम में बीजेपी की जीत पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों में दक्षिणपंथी राजनीति का ऐतिहासिक प्रवेश है, यानी की बीजेपी पहली बार पूर्वात्‍तर के किसी राज्‍य में अपनी सरकार बनाने जा रही है, इससे पहले इन राज्‍यों में आजादी के बाद से कांग्रेस की सरकारें रही हैं। ऐसे  में यह असम में बीजेपी के प्रवेश के बाद संघ पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों को लेकर न केवल अपनी नीतियों को आक्रामक करेगा बल्‍कि अपने विस्‍तार पर भी जोर देगा।

आपको बता दें कि संघ अपनी स्‍थापना और आजादी के बाद से ही पूर्वोत्‍तर में धर्मांतरण, विदेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंतित रहा है। इसकी एक वजह यह भी रही है कि सिक्किम और उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) मिलाकर बना पूर्वोत्तर भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है।

हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि धर्मांतरण, विदेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए आज भी पूर्वोत्‍तर के सुदूर अंचलों संघ कार्यकर्ता मिल जाएंगे, लेकिन उनकी सक्रियता सत्‍ता से बाधित होती रही है, यही वजह है कि संघ शुरू से ही यहां राजनीतिक सहयोग और अपनी सरकार होने के सपने देखता रहा है।

इसके अलावा इन राज्यों का भौगोलिक स्वरूप और चीन के मंसूबे भी संघ के लिए चिंता का सबब रहे हैं। ऐसे में असम में पहली बार बीजेपी का सत्‍ता में आना पूर्वौतर में दक्षिणपंथी राजनीति का प्रवेश है। निश्‍चित ही ऐसे में पूर्वोत्‍तर में संघ की शाखाओं के विस्‍तार और सक्रियता से इंकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि पांच साल पहले 2010 में जहां हर माह 1000 युवा संघ से जुड़ते थे, 2015 में यह संख्या बढ़कर 8000 प्रति माह हो चुकी है।

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