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संघर्ष भरा रहा योगी आदित्यनाथ का जीवन…

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जीवन संघर्षों से भरा रहा है।

गोरखपुर। एक साधारण परिवार में पैदा हुए अजय सिंह बिष्ट का गोरक्षपीठ जैसे नाथ संप्रदाय की बड़ी पीठ के महंत से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर संघर्षों भरा रहा है। गोरक्षपीठ के महंत अवेद्यनाथ का उत्तराधिकारी बनने के बाद नये नाम योगी आदित्यनाथ के रूप में काफी ख्याति अर्जित की। उनका स्वभाव योगी जैसा है। उनके द्वारा फरियाद लेकर गया वह निराश नहीं लौटा। रात 11 बजे के बाद वह सोने के लिए चले जाते हैं और सुबह तीन-साढ़े तीन बजे जग जाते हैं।
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को पौड़ी जिले के पंचुर गांव में आनंद सिंह बिष्ट व सावित्री देवी के घर हुआ। उनका घर का नाम अजय सिंह बिष्ट था। नाथपंथ के प्रसिद्ध मठ गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर में 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक किया। महज 22 वर्ष की उम्र में ही अजय संन्यासी हो गए।

सामाजिक समरसता के अग्रदूत हैं योगी

सामाजिक समरसता के अग्रदूत गोरक्षपीठ का मंत्र ‘जाति-पाति पूछे नहीं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई रहा है। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढि़वादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत के विरुद्ध अभियान जारी रखा। योगी ने धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से देशसेवा की।

राजनीति में अजेय

योगी आदित्यनाथ 1998 में महज 26 वर्ष की आयु में ही गोरखपुर से संसद सदस्य चुन लिए गए। उस समय वे सबसे युवा सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे। इसके पश्चात 1999, 2004, 2009 व 2014 में अनवरत पांचवीं बार सांसद बने। हर चुनाव में योगी के विजयी होने का अंतर बढ़ता गया।

हर भूमिका में खरे उतरे योगी

बतौर मुख्यमंत्री भले ही योगी पहली पारी शुरू कर रहे हों, लेकिन इससे पूर्व एक सांसद के रूप में उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिली, उसका योगी ने बखूबी निर्वहन किया है। संसद में सक्रियता एवं संसदीय कार्य में रुचि के कारण केंद्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग, ग्रामीण विकास, विदेश, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों की स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में समय-समय पर सदस्य के रूप में नामित किए गए।

कलम के सिपाही योगी

एक राजनेता होने के साथ-साथ योगी का व्यक्तित्व एक चिंतक, दार्शनिक और लेखक का भी है। योगी ने ‘यौगिक षटकर्म’, ‘हठयोग स्वरूप एवं साधना’, ‘राजयोग स्वरूप एवं साधना तथा ‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’, नामक पुस्तकें लिखीं। गोरखनाथ मंदिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के भी प्रधान सम्पादक रहे।

हिंदू युवा वाहिनी का किया गठन

योगी आदित्यनाथ ने असमाजिक कार्यों को रोकने के लिए हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया। हियुवा ने समय-समय पर समाज में हर वर्ग के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए।

संसद में रो पड़े थे योगी

योगी आदित्यनाथ 2007 में संसद में उत्तर प्रदेश पुलिस प्रताडऩा की बात करते हुए काफी भावुक हो गए। अपनी बात कहते कहते योगी फूट-फूटकर रो दिए थे। योगी ने लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी से कहा कि यदि राजनीति पूर्वाग्रह के कारण मुझे अपराधी बनाया जा रहा है।

पूरब से पश्चिम तक को मथा है योगी ने

पिछले ढाई साल से संसद से सड़क तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पलायन, धर्मांतरण एवं लव जिहाद का मुद्दा उठाकर योगी ने न सिर्फ सपा सरकार को बैकफुट पर लाने का प्रयास किया बल्कि उन क्षेत्रों में भाजपा की जमीन भी मजबूत की। योगी के बढ़ते प्रभाव के कारण ही भाजपा नेतृत्व ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ पूर्वांचल के बजाय समूचे प्रदेश में अपना स्टार प्रचार बनाया। योगी ने पार्टी को जीत दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की। वह उन प्रमुख नेताओं में हैं, जिन्होंने सबसे अधिक चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। 165 से अधिक जनसभाओं में वह हेलीकॉप्टर से पहुंचे, जबकि अपने संसदीय क्षेत्र में दर्जनों सभाएं अपने वाहन से जाकर की। अंतिम चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में उन्होंने 6 मार्च को अपने प्रचार अभियान का समापन किया। इस दौरान अमित शाह एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका संवाद बना रहा।

जानवरों से है बेहद लगाव

योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या गो सेवा से शुरू होती है। मठ के आंगन में रोज दाने बिखेरे जाते हैं और मिïट्टी के बर्तनों में पानी भरा रहता है। लेब्राडोर नस्ल का कुत्ता कालू योगी की एक आवाज पर दौड़ा चला आता है। बिल्ली के लिए मंदिर में प्रतिदिन खीर भी बनता है।

पपीता है सर्वाधिक पसंद, दिन में नहीं करते हैं भोजन

 योगी आदित्यनाथ सादा भोजन करते हैं। सुबह करीब नौ बजे जलपान में वह दलिया, सीजन के अनुसार मिश्रित फल, उबले चने व मूंग के साथ एक गिलास दूध लेते हैं। दिन में क्षेत्र में होने के कारण वह कम ही भोजन करते हैं। 

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