सउदी अरब : तुम्ही दवा देना
सउदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले हफ्ते शाही परिवार के दर्जनों सदस्यों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार करके खलबली मचाई ही थी, अब उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध नई पहल की है। उन्होंने 41 इस्लामी देशों का एक सम्मेलन राजधानी रियाद में किया और उन सब देशों से संकल्प करवाया कि वे आतंकवाद को सारे संसार में जड़-मूल से उखाड़ फेकेंगे। रियाद में दो साल पहले एक आतंकवाद-विरोधी केंद्र भी खोला गया था, जिसके मुखिया पाकिस्तान के पूर्व सेनापति जनरल राहिल शरीफ हैं। इस केंद्र में आतंकवाद-उन्मूलन के चार पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा। पहला वैचारिक याने समस्त इस्लामी देशों को इस्लाम की उदारता और सहिष्णुता की शिक्षाओं से वाकिफ करवाया जाएगा और आतंकवाद को इस्लाम-विरोधी सिद्ध किया जाएगा। दूसरा, समस्त रेडियो, टीवी, अखबार और इंटरनेट पर आतंकवाद के इस्लाम-विरोधी चरित्र का भांडाफोड़ किया जाएगा। तीसरा, आतंकवाद के समस्त आमदनी के जरियों को बंद किया जाएगा। चौथा, यह केंद्र विभिन्न इस्लामी राज्यों को आतंकवाद के खिलाफ सैन्य-कारवाई करने में सक्रिय मदद करेगा।
यदि सउदी युवराज की यह योजना सफल हो जाए तो सारी दुनिया को बड़ी राहत मिलेगी। आतंकवाद के कारण सारी दुनिया में इस्लाम की जो बदनामी हुई है, वह रुकेगी। मुट्ठी भर आतंकवादियों के कारण गैर-मुस्लिम देशों में रहनेवाले मुसलमानों की जो दुर्गति हो रही है, उससे उन्हें निजात मिलेगी। इस्लामी देशों, सीरिया और एराक आदि में जो गृह-युद्ध भड़के हुए हैं, वे बंद होंगे लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सउदी युवराज की बात कितने इस्लामी देश ईमानदारी से मानेंगे ? जो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है, उसी के पूर्व सेनापति इस केंद्र के कर्त्ता—धर्त्ता हैं। इसके अलावा शिया-बहुल देश इसे सुन्नी वर्चस्व स्थापित करने के दांव की तरह ग्रहण करेंगे। सउदी युवराज को चाहिए कि वे ईरान समेत अन्य शिया-बहुल देशों से भी बात करें। उन्हें भारत-जैसे देशों से भी सक्रिय सहयोग लेना चाहिए। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनका यह सारा प्रयास कहीं डोनाल्ड ट्रंप और इस्राइल को खुश करने का पैंतरा बनकर न रह जाए ! इस मामले में सउदी अरब की जिम्मेदारी दुनिया में सबसे ज्यादा है, क्योंकि सउदी अरब ही इस्लामी आतंकवादियों का प्रथम पिता है। तुम्ही ने दर्द दिया है, तुम्ही दवा देना।