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सपा और बसपा के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन और सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन और सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो गया है इन दोनों दलों ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रख सकती है

लखनऊ: देश के तीन राज्यों की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस के लिए उम्मीद जगी थी कि उत्तर प्रदेश में होने वाले महागठबंधन में उसकी दावेदारी मजबूत होगी, उसके अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है। सूबे में सपा-बसपा के साथ होने वाले गठबंधन में कांग्रेस को दरकिनार किया जा सकता है। सपा-बसपा गठबंधन में सीटों का फॉर्मूला तकरीबन तय हो गया है। माना जा रहा है गठबंधन का औपचारिक ऐलान मायावती के जन्मदिन पर हो सकता है। बसपा सूत्रों की मुताबिक यूपी में सपा-बसपा के साथ गठबंधन और सीटों के फॉर्मूला तय हो गया है। इस फॉर्मूले के तहत कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली छोड़ सकते हैं। इसके अलावा चौधरी अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी को 2 से 3 सीटें मिल सकती है। आरएलडी के खाते में बागपत, मुजफ्फरनगर और कैराना संसदीय सीटें दी जाएगी।

सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियों ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में अपने लिए सीटें तय कर ली है। एक फॉर्मूले के मुताबिक बीएसपी 38 और सपा 37 सीटों पर चुनावी लड़ेगी। जबकि दूसरे फॉर्मूले के तहत बसपा 39 और सपा को 37 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरेंगी। ऐसी स्थिति में आरएलडी को 2 सीटें मिल सकती है। कहा जा रहा है कि इस फॉर्मूले पर दोनों ही दलों के शीर्ष नेताओं के बीच सहमति भी बन चुकी है। सपा और बसपा- दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ यूपी में गठबंधन करने के मूड में नहीं है। हाल ही में हुई पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ी थीं। हालांकि नतीजों के बाद दोनों पार्टियों ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन दिया है।

ऐसी स्थिति में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अकेले चुनावी मैदान में उतरना पड़ सकता है। हालांकि गठबंधन की गुंजाइश बनी रहे, इस लिहाजा से सपा-बसपा कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन प्रत्याशी नहीं उतारेंगी। साथ ही सपा अपने कोटे की कुछ सीटें भी अन्य छोटे दल जैसे निषाद पार्टी, पीस पार्टी को दे सकती है। बसपा हर साल मायावती के जन्मदिन को बहुत धूमधाम से मनाती है। इसी दिन मायावती एक ब्लू बुक जारी जारी करती है जिसमें हर साल के उनके काम और बीएसपी के वैचारिक नजरिए को सामने रखा जाता है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से इस बार एक बड़ा आयोजन कर सकती है। इस कार्यक्रम गैर कांग्रेसी और गैर बीजेपी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इसी दिन सूबे में गठबंधन का ऐलान होगा।

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