स्वास्थ्य

समझिए बैलेंस डिसऑर्डर को और संभलिए

images (3)पिकनिक पर मस्ती करते हुए आप झूले के सामने खड़े हैं और अचानक आपको महसूस होता है कि आपके आस-पास सबकुछ घूमने लगा है या फिर कभी अचानक सीढ़ियां चढ़ते हुए आपको चक्कर-सा आने लगता है। यह बैलेंस डिसऑर्डर के लक्षण भी हो सकते हैं।

संतुलन का अचानक बिगड़ जाना

बैलेंस डिसऑर्डर वह स्थिति है जब पीड़ित बैठी, खड़ी या लेटी अवस्था में भी सहसा चक्कर आने या संतुलन बिगड़ने का अहसास करता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जिनमें कुछ विशेष स्वास्थ्य समस्याओं से लेकर कुछ खास दवाओं का सेवन तक शामिल हो सकता है। इनर इयर के वे हिस्से जो संतुलन बनाए रखने में भूमिका निभाते हैं उन्हें वेस्टिब्यूलर सिस्टम कहा जाता है।

यह सिस्टम शरीर के अन्य संवेदन तंत्र, जैसे आंखें, जोड़, हड्डियां आदि, के साथ मिलकर काम करता है। जब यह तंत्र किसी परेशानी के शिकंजे में आता है तो बैलेंस डिसऑर्डर की स्थिति बन जाती है। कान में किसी प्रकार के वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन, सिर पर लगने वाली चोट, दिमाग को तकलीफ पहुंचाने वाले ब्लड सर्कुलेशन डिसऑर्डर या उम्र बढ़ने के कारण भी यह स्थिति बन सकती है।

कई सारे हैं प्रकार

वर्टिगो की समस्या के अलावा और भी कई प्रकार के बैलेंस डिसऑर्डर हो सकते हैं। इनमें बिनाइन पैरोक्जिमल पोजीशनल वर्टिगो, लिब्रिन्थाइटिस, मैनियर्स डिसीज, वेस्टिब्यूलर न्यूरोनाइटिस, पेरिलम्प फिश्चुला तथा मोशन सिकनेस आदि शामिल हैं।

ऐसे सामने आते हैं लक्षण

बैलेंस डिसऑर्डर के चलते कई सारे लक्षण सामने आते हैं। जिनमें शामिल हैं-

  • गिर जाना या गिरने जैसा अहसास
  • चक्कर आना या सिर घूमने जैसा अहसास
  • वर्टिगो की स्थिति
  • असमंजस या दिमाग में भटकाव
  • सिर में हल्कापन महसूस होना
  • नॉशिया या उल्टी-दस्त होना
  • धुंधलापन महसूस होना
  • हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होना
  • डर, घबराहट व एंग्जाइटी होना, आदि

जांच और इलाज

इस समस्या को तुरंत पकड़ पाना थोड़ा कठिन होता है अत: डॉक्टर इसके लिए कुछ विशेष जांचों की सलाह देते हैं। किसी ऑटोलेरिंगोलॉजिस्ट यानी नाक, कान गले के विशेषज्ञ को दिखाना भी सही तरीका हो सकता है। इसके बाद यह देखा जाता है कि इस डिसऑर्डर के पीछे की वजह क्या है। कई बार तो बिना किसी खास वजह के भी यह समस्या पनप सकती है। ऐसे में दवाइयों के अलावा कुछ विशेष थैरेपी भी उपयोग में लाई जा सकती हैं।

इनके अलावा सावधानी और सतर्कता रखने के लिए सलाह और मार्गदर्शन मिलता है जिससे काफी आराम मिल सकता है। कुछ मामलों में यह हो सकता है कि लक्षण लंबे समय तक या स्थाई बने रहें लेकिन इसमें भी थोड़ी-सी सावधानी रखकर सामान्य जीवन जिया जा सकता है। योग की कुछ विधियां भी इस तकलीफ में लाभप्रद सिद्ध हो सकती हैं।

 

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