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सरकार ने कहा-आरबीआई का सम्मान जरूरी, लेकिन सुझाव देते रहेंगे

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के बीच सार्वजनिक तनातनी के बीच वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता ‘एक महत्वपूर्ण और शासन चलाने के लिए स्वीकार्य जरूरत’ है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, सरकार और आरबीआई दोनों को सार्वजनिक हित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के हिसाब से काम करना है। बयान के अनुसार, इस उद्देश्य के लिए कई मुद्दों पर समय-समय पर सरकार और आरबीआई के बीच व्यापक विचार विमर्श हुए हैं।” वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने कभी भी उन विचार विमर्श के मुद्दों को सार्वजनिक नहीं किया। केवल अंतिम निर्णय के बारे में लोगों को बताया जाता है। सरकार इन विचार विमर्शो के जरिए मुद्दों पर अपना मूल्यांकन करती है और संभावित उपाय के बारे में सलाह देती है। सरकार लगातार ऐसा करना जारी रखेगी। आपको बताते जाए कि विभिन्न मुद्दों पर जारी मतभेदों के बीच मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ आरबीआई एक्ट, 1934 के तहत केंद्र सरकार को मिले इस अधिकार का इस्तेमाल इतिहास में पहली बार कर दिया है। जिसमें आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 के तहत सरकार को यह अधिकार मिला हुआ है कि वह सार्वजनिक हित के विषय पर आरबीआई को सीधे-सीधे निर्देश दे सकती है, जिसे आरबीआई मानने से इनकार कभी नहीं कर सकता है। इसी दौरान टीवी रिपोट्र्स के अनुसार यह आशंका जताई जा रही है कि सरकार और आरबीआई के बीच खटास बढ़ सकती है। आशंका यह भी जताई जाने लगी है कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं।

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