सरकार ने बिजली की बढ़ी दरों के नए स्लैब घोषित किए, पिछली सरकार पर मढ़ा बढ़ी दरों का दोष
चंडीगढ़. हरियाणा हरियाणा में बिजली की बढ़ी दरों को लेकर पिछले दिनों निशाने पर आई सरकार ने बढ़ी दरों को कम किया है. सरकार ने अब फिर से नई स्लैब प्रणाली घोषित की है. सरकार के इस फैसले से करीबन आधे से ज्यादा उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर लाभ पहुंचने की उम्मीद है.
सरकार के मुताबिक ऐसे उपभोक्ताओं को सीधे लाभ पहुंचेगा, जिनकी मासिक खपत 100 यूनिट से कम है. इस पर पहले 1 से 40 यूनिट की खपत पर 2 रुपए 70 पैसे बिजली दर लागू थी. इस श्रेणी को बढ़ाकर 1 से 50 यूनिट कर दिया यानि कि इस श्रेणी के उपभोक्ताओं की दरों में 3.8 प्रतिशत की कमी कर दी गई है. पहले 50 से 100 यूनिट खपत वाले उपभोक्ताओं पर 4 रुपए 50 पैसे की दर थी अब भी इस दर को 4 रुपए 50 पैसे ही रखा गया है.
इस प्रकार 1 से 100 यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई बल्कि कुछ कमी की गई है. हरियाणा बिजली विनियामक आयोग ने 120 रुपए कर दिया था. अब इस शुल्क को भी घटाकर 115 रुपए किया गया है.
अब हरियाणा में औसतन 100 से 800 यूनिट खपत वाले उपभोक्ताओं को काफी राहत दे दी गई है. इसके अलावा 100 से 800 यूनिट खपत वाले उपभोक्ताओं की बिजली की दरों को नॉन टैलिस्कोपिक भी कर दिया था, जो बाद में सरकार के अनुरोध पर टैलिस्कोपिक कर दिया गया है. जिससे इस श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में भारी कमी आ गई. इसी प्रकार, एल.टी. श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में औसतन 6.3 प्रतिशत की कमी कर दी है. पहले इस श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली की दर 6 रुपए 35 पैसे प्रति यूनिट थी जो कि अब 5 रुपए 95 पैसे प्रति यूनिट कर दी गई है.
मौजूदा सरकार का कहना है कि पिछली हुड्डा सरकार की कैबिनेट ने दिनांक 29 मार्च, 2013 की मीटिंग में विभाग के प्रस्ताव को मंजूर किया था, जिसके अनुसार साल 2015-16 में कुल मिलाकर 15 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोतरी की जानी थी. नियामक आयोग ने 7 मई 2015 को जो निर्णय लिया था उसके अनुसार बिजली दरों में औसतन 8.5 प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी गई थी.
यह बढ़ोतरी 1 से 100 यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ताओं पर शून्य थी. नियामक आयोग ने जो 100 से 500 यूनिट तक खपत करने वालों की बिजली दरों को नॉन टैलिस्कोपिक कर दिया. जिस कारण 100 यूनिट से लेकर 500 यूनिट तक खपत वाले उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में 16 से 27 प्रतिशत अतिरिक्त बोझ पड़ा तथा 500 से 800 यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ताओं पर 26 से 36 प्रतिशत का अतिरिक्त बोझ पड़ गया. आयोग द्वारा देरी से दिए गये निर्णय के कारण 1 अप्रैल से लागू कर दिया, जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को अगस्त -सितम्बर के महीनों में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा.