सांवला रंग देख मंडप से लौट गया दूल्हा, किस्मत ने ली ऐसी करवट की लड़की के सामने गिड़गिड़ाने लगा लड़का
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देखा जाए तो हमारा देश, हम खुद आज बहुत आगे जा चुके हैं और हमने काफी ज्यादा तरक्की भी कर ली है, आज हम एक से बढ़कर एक आधुनिक चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात ये हैं की इस आधुनिकता से ना सिर्फ शहर बल्कि गाँव भी अब अछूता नहीं रह गया है। मगर इतना कुछ होने के बाद भी हमारा समाज कुछ चीजों में आज भी पीछे ही है। जिसका सबसे बड़ा उधाहरण आज हम आपके सामने लेकर आए हैं। असल में हम बात कर रहे हैं एक ऐसे परिवार की जहां पर एक लड़की को उसके होने वाले पति ने ठीक शादी वाले दिन ही उससे शादी करने से मना कर दिया।
जी हाँ असल में हम बात कर रहे है ऐसी मानसिकता वाले लोगों की जो आज स्मार्टफोन चला रहे है, इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं देश दुनिया की खबरों को पढ़ देख पढ़ रहे है मगर फिर भी दिमाग में व्याप्त कुंठाओं को दूर नहीं कर पा रहे। असल में ये मामला है एक ऐसी शादी का जहां सब तैयारियां हो चुकी थी सारे बाराती आ चुके थे, गाना बजाना चल रहा था, बस बचा था फेरों का होना। मगर ये क्या, अचानक ऐसी क्या बात हो गयी की लड़का मंडप से उठकर जाने लगा। लड़के की इस हरकत से लड़की के पिता और अन्य सभी घराती सकते में आ गए और लड़के के पैरों में गिर कर उसे रोकने लगे। मगर लड़का था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था और वहाँ से जाने की उसने वजह भी ऐसी बताई की वहाँ मौजूद हर कोई सकते में आ गया।
असल में इस बार शादी दहेज के लिए नहीं बल्कि लड़की के सावलेपन की वजह से टूटी थी, लड़के ने यह कह कर शादी से इंकार कर दिया की लड़की साँवली है और व उससे शादी नही कर सकता जबकि उससे कुछ ही दिनों पहले लड़के को सगाई तक लड़की बेहद ही पसंद थी। मगर अचानक ही ऐसा क्या हो गया की शादी के दिन ही लड़की उसे साँवली लगी और उसने शादी से साफ इंकार कर दिया। बारात खाली लौट चुकी थी, शादी के मेहमान भी सारे लौट चुके थे।
इस सब के बीच अचानक पिता को ख्याल आया उपनी बेटी का की कहीं बारात लौटने की वजह से…! मगर जब वो दौड़कर अंदर पहुँचते है तो सामने का नजारा देख एकदम से अवाक रह जाते है। बेटी दो कप चाय लेकर मुस्कुराती हुई आ रही थी अपने पापा की ओर। चेहरे पर गम की जगह मुस्कुराहट, निराशा की जगह खुशी इससे पहले की पिता कुछ समझ पाते बेटी बोल पडी, बाबा चलो जल्दी से चाय पिओ और फटाफट ये किराये की पांडाल और कुर्सीया, बर्तन सब पहुँचा देते हैं जिनका है वरना बेकार मे किराया बढ़ता रहेगा। उनकी बेटी और उसका इस तरह का व्यवहार पिता के लिए पहेली बन चुकी थी।
वक़्त बदलता है और लड़की अपने पिता के साथ गाँव चली जाती है जहां पर वो अपने बाबा के साथ मछ्ली मारने का कम करने लगती हैं वहीं दूसरी तरफ लड़का किसी दूसरी गोरी लड़की से शादी कर के खुश था। उसी बीच एक रोज वो घूमने निकाला था और तभी अचानक से नदी किनारे घूमते वक़्त उसका पैर फिसल जाता है और वो नदी में गिर जाता है। नदी का बहाव इतना ज्यादा था की उसके दोस्त उसे बचा नही पाते हैं और वो नदी के बहाव में बहते चला जाता है।
इधर दूसरी तरफ सुबह सुबह लड़की के पिता उस जगह जाते हैं जहां पिछली र्टात उन्होने नदी में जला बिछाया था मगर इस बार उन्हे मछलियों के सतह साथ जाल में लड़का भी फँसा मिलता है। वह तुरंत अंधेरे मे ही लड़के को अपने कंधे पे उठाकर अपने घर लाते हैं। जंहा बहुत मसक्कत के बाद लड़के को होश आता है, मगर जैसे ही लड़के को होश आता है सामने लड़की और उसके पिता को देख उसकी आंखे शर्म से झुक जाती हैं और वो अपने किए पर बेहद ही शर्मिंदा होने लगता है।