उत्तर प्रदेशफीचर्डराज्यलखनऊ

सातवें वेतन लगने के बाद शिक्षामित्र पाते थे, 39 हजार सैलरी अब फिर से होगा पहले जैसा हाल

कभी 2250 रुपये के मामूली से मानदेय पर स्कूलों में नियुक्त हुए शिक्षामित्र सातवां वेतन आयोग आने के बाद 39000 रुपये वेतन पाने लगे थे। लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा दिन न रही क्योंकि हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक के पद पर किए जा रहे उनके समायोजन को अवैध बता दिया।
सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत तो दी लेकिन अब समायोजन रद्द करने के उसके आदेश से एक बार फिर उन्हें झटका लगा है। हालांकि सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए टीईटी पास करने के दो मौके देकर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राहत जरूर दी है। इस तरह देखा जाए तो प्रदेश में शिक्षामित्रों का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है।

ये भी पढ़ें: जानिए 26 जुलाई, 2017, दिन- बुधवार कैसा रहेगा राशिफल

सातवें वेतन लगने के बाद शिक्षामित्र पाते थे, 39 हजार सैलरी अब फिर से होगा पहले जैसा हालप्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए 26 मई 1999 को हर विद्यालय में दो शिक्षामित्र रखने का निर्णय लिया गया था। नियुक्ति का अधिकार ग्राम सभा को था और इसके लिए योग्यता इंटरमीडिएट थी।

शुरुआत में इनके लिए प्रति माह 2250 रुपये मानदेय तय किया गया। वर्ष 2010 तक 1.68 लाख शिक्षामित्र विभिन्न प्राथमिक स्कूलों में रखे गये। तब तक इनका मानदेय भी बढ़ाकर 3500 रुपये प्रति माह कर दिया गया।

अब पहले वाली स्थिति में आ गए शिक्षामित्र

वर्ष 2010 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू होने पर राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन का फैसला किया।
स्नातक शिक्षामित्रों को दो वर्षीय विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण देने के बाद समायोजित किया जाना था। वर्ष 2015 तक 1.37 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया।

यह प्रक्रिया अभी चल ही रही थी कि सितंबर 2015 में हाईकोर्ट ने समायोजन को अवैध करार दे दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्टे मिल जाने और सातवां वेतनमान लागू होने से समायोजित शिक्षामित्रों का वेतन करीब 39 हजार रुपये प्रति माह हो गया। अब सुप्रीम कोर्ट का समायोजन रद करने के आदेश के बाद वे पहले वाली स्थिति में आ गये हैं।

शिक्षामित्रों का सफर : एक झलक में

-26 मई 1999 : प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में दो शिक्षामित्रों की नियुक्त का शासनादेश।

-2001 : शिक्षामित्रों की नियुक्तियां शुरू हुईं। मानदेय 2250 रुपये प्रति माह तय किया गया।

-2004-05: इस साल सबसे ज्यादा शिक्षामित्र रखे गये।

-2010: अब तक स्कूलों में 1.68 लाख शिक्षामित्र रखे जा चुके थे।

ये भी पढ़ें: इन 5 राशियों के लोग सबसे ज्यादा झूठ बोलने में होते है माहिर

-2005 : शिक्षामित्रों का मानदेय 2250 से बढ़ाकर 2400 रुपये प्रतिमाह किया गया। जिसे 2007-2008 में 3000 रुपये और 2010 में 3500 रुपये प्रति माह कर दिया गया।

-2010 : शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन का फैसला।

-2014 व 2015 : 1.37 लाख शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किए गये।

-12 सितंबर 2015 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समायोजन को नियमों के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया।

-7 दिसंबर 2015 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे दिया।

-25 जुलाई 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया।

ये कहना है बेसिक शिक्षा अधिकारियों का

मामले पर बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि अभी हमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश का अध्ययन करने के बाद ही इस बारे में कोई टिप्पणी कर सकता हूं।

संयुक्त सक्रिय शिक्षक-शिक्षामित्र समिति के प्रदेश संरक्षक दुष्यंत सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही मानते हुए समायोजन रद कर दिया है। हम कोर्ट के आदेश का पूरा सम्मान करते हुए सरकार से मांग करते हैं कि हमारी सेवाओं को यथावत बनाए रखने के लिए कानून बनाए। वरना 1.67 लाख परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।

उत्तर प्रदेश दूरस्‍थ बीटीसी शिक्षक संघ अनिल यादव का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं और राज्य सरकार से मांग करते हैं कि विभागीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) शीघ्र कराएं।

 

Related Articles

Back to top button