साल का पहला सूर्य ग्रहण 9 मार्च को, भारत में आंशिक रूप से ही दिखेगा
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नयी दिल्ली। 2016 में पहला सूर्य ग्रहण 9 मार्च को पड़ेगा। भारत में यह आंशिक रूप से ही दिखेगा। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के योग लोगों को ग्रहण की पांच रोमांचक घटनाओं से रूबरू कराएंगी। भारत में इनमें से केवल दो ही ग्रहणदृश्यमान होंगे। इस साल ग्रहणों का सिलसिला नौ मार्च को पड़ने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण से शुरू होगा। साल 2016 का यह पहला ग्रहण भारत के पूर्वोत्तर के हिस्सों में आंशिक तौर ही पर दिखायी देगा।
ज्योतिषियों के अनुसार, दूसरा ग्रहण एक उपछाया चंद्रग्रहण है, जो 23 मार्च को लगेगा। लेकिन इस ग्रहण को देश में देखा नहीं जा सकेगा। गौरतलब है कि उपछाया चंद्रग्रहण तब लगता है, जब चंद्रमा पेनुम्ब्रा (ग्रहण के वक्त धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी हुई प्रतीत होती है और चंद्रमा पर पड़ने वाली ग्रहण धुंधली परछाई के रूप में दिखती है।
अगस्त और सितंबर में लगेंगे तीन ग्रहण
इस साल 18 अगस्त को इस साल के दूसरे उपछाया चंद्रग्रहण लगने के योग हैं। यह ग्रहण भी भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा। ज्योतिषियों के अनुसार इसी साल एक सितंबर को लगने वाले वलयाकार सूर्यग्रहण को भी देश में देखा नहीं जा सकेगा।
इस साल 16 सितंबर को तीसरा चंद्रग्रहण लगेगा। यह भी एक उपछाया चंद्रग्रहण है। यह देश में दिखायी देगा। यह इस साल का अंतिम ग्रहण होगा। वर्ष 2015 ग्रहण की कुल चार खगोलीय घटनाएं हुई थीं, जिनमें दो पूर्ण चंद्रग्रहण, एक पूर्ण सूर्यग्रहण और एक आंशिक सूर्यग्रहण था।
सूर्य ग्रहण 9 मार्च को, दक्षिण पूर्व एशिया के लोग करेंगे नजारा
दक्षिण पूर्व एशिया के लाखों लोग नौ मार्च को पूर्ण सूर्यग्रहण के गवाह बनेंगे। नासा के मुताबिक, यह सूर्यग्रहण एक मिनट से कुछ अधिक समय तक दिखाई देगा।
हवाई, गुआम और आलस्का के कुछ हिस्सों समेत एशिया और प्रशांत क्षेत्र के भी लाखों लोग आंशिक सूर्यग्रहण देख पाएंगे। यह पूर्ण सूर्यग्रहण के एक घंटे पहले और बाद में दिखाई देगा। बता दें कि सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने की वजह से सूर्यग्रहण पड़ता है।
यह घटना साल में करीब एक ही बार होती है। नासा के मुताबिक, पश्चिमी छोर से ग्रहण शुरू होने और पूर्वी छोर पर इसके खत्म होने की करीब तीन घंटे की अवधि में हर स्थान पर पूर्ण सूर्यग्रहण सिर्फ डेढ़ से चार मिनट की अवधि तक ही दिखाई देगा। दरअसल, सूर्य चंद्रमा की अपेक्षा 400 गुना बड़ा है, लेकिन यह चंद्रमा की अपेक्षा पृथ्वी से 400 गुना दूर है। इसलिए सूर्य ग्रहण के दौरान हमें दोनों का आकार एक जैसा दिखाई देता है।