अद्धयात्म

सावन के महीने में अगर चाहिए सुख-समृद्धि तो महिलाएं करें ये काम

भगवान शिव का प्रिय महीना श्रावण यानि सावन को माना जाता है. इस पूरे महीने में चारों ओर भोलेनाथ के नाम की गूंज रहती है. मंदिर सज जाते हैं, सड़कों पर कावड़ यात्री दिखते हैं. शिव भक्तों के लिए यह महीना एक बड़े त्योहार की तरह होता है. इस महीने में लोग व्रत करते हैं, शिव की पूजा करते हैं और ज्योतिष उपायों से अपने भविष्य को संवारने की कोशिश करते हैं. लेकिन इस महीने में महिलाएं अगर कुछ खास उपाय करें, तो उनकी किस्मत बदल सकती है. आइए जानते हैं महिलाएं सावन के महीने में क्या करें..

सावन के महीने में अगर चाहिए सुख-समृद्धि तो महिलाएं करें ये कामसोमवार का व्रत
इस महीने में सोमवार के व्रत का खास महत्व है. माना जाता है इससे जीवन में सुख समृद्धि बढती है. मान्यता है विवाहित औरतों को इस महीने में सोमवार व्रत रखने पर सौभाग्य का वरदान मिलता है. वहीं अविवाहित लड़कियां को सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा वर मिलता है.

हरा रंग
शास्त्रों के अनुसार सावन में हरे रंग का बेहद महत्व होता है. यदि महिलाएं या लड़कियां, दोनों ही इस महीने हरे रंग के वस्त्र, चूड़ियां या इस रंग की कोई भी वास्तु धारण करें, तो उन्हें कई तरह के लाभ मिल सकते हैं. सावन के महीने में हरे रंग की चूड़ियां धारण करना महिलाओं के लिए काफी शुभ माना जाता है. लाल रंग को सुहाग की निशानी कहा जाता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार हरा रंग भी सुहागिन स्त्री द्वारा पहना जाता है. यह रंग उसके सुहाग का प्रतीक होता है और उसके सुहाग की हर बुरी नजर से रक्षा भी करता है. सावन में स्त्रियां के जरिए हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनने से उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो और उनका शादीशुदा जीवन अच्छा व्यतीत होता रहता है.

शिव पूजा
सावन के महीने में महिलाएं और कुंवारी कन्याएं भी भगवान शिवजी की पूजा करती हैं, लेकिन शिवजी की पूजा में महिलाओं और कन्याओं को कुछ सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष विशेषज्ञों की माने तो शिवलिंग की पूजा से जुड़ी एक मान्यता यह है कि महिलाओं को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग को हाथ नहीं लगाना चाहिए. महिलाओं को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं. देवों के देव महादेव की तपस्पा भंग न हो जाए इसलिए महिलाओं को शिवलिंग की पूजा न करने के लिए कहा गया है. जब शिव की तपस्या भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं.

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