सिंहस्थ में साधु ने बनाई पेड़ पर कुटिया, तूफान में भी रही अडिग
एजेंसी/ उज्जैन। सिंहस्थ में साधुओं के आश्रम व उनके लिए पंडाल तो आपने कई देखे होंगे। इन्हीं में एक साधु ऐसे भी हैं, जो पेड़ पर कुटिया बनाकर रह रहे हैं। 70 वर्ष के इस साधु ने कड़ी मशक्कत के बाद पेड़ की ऊंचाई पर यह कुटिया बनाई है।
रामघाट पर पेड़ के ऊपर बनी यह कुटिया बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। बाबा आनंद गिरि ने इसे तैयार किया है। झारखंड के रोहणी से आए सत्तर वर्षीय आनंद गिरि महाराज का जोश किसी युवा से कम नहीं है।
वो कहते हैं कि धर्म के नाम पर बातें तो सभी करते हैं, लेकिन धर्म पालन करना कोई नहीं चाहता। पहले वर्षों तक केदारनाथ के पास उन्होंने त्रिजोगीनाथ नामक जगह पर रहकर काफी समय तक ध्यान व तप किया। बाद में यहां मन नहीं लगा तो केदारनाथ छोड़ दिया व अपने गांव लौट गए। यहीं पर अब वे साधना करते हैं। बीच-बीच में वो उज्जैन आते रहते हैं।
मेला क्षेत्र में मिली जगह, नहीं गए
जब आनंद गिरि से पेड़ पर कुटिया बनाने का कारण पूछा तो बोले- घाट किनारे ही सिंहस्थ में साधना करना चाहता था। इसी कारण मन में ख्याल आया कि घाट पर तो कोई कुटिया बनाने देगा नहीं, इसलिए पेड़ पर बना ली। बाबा को मेला क्षेत्र में भी जगह मिली थी लेकिन वे वहां नहीं गए। वे बताते हैं कि कुटिया बनाने में काफी मेहनत व समय लगा। ढाई महीने मशक्कत के बाद यह तैयार हो सकी।
दिन में घाट किनारे रहने के बाद बाबा रात में कुटिया में ही रहते हैं। कुटिया बनाने के लिए लकड़ी व कपड़े का इंतजाम करने में परेशानी आई। इन लकडिय़ों को पेड़ पर जमाने में वक्त लगा। कई बार लकडिय़ां खिसकने से फिर से कुटिया बनाने की शुरुआत करनी पड़ी।
आंधी-तूफान में भी रही सुरक्षित
पिछले दिनों उज्जैन में हुई तेज बारिश व आंधी में भी पेड़ पर बनी कुटिया को कुछ नहीं हुआ। इतनी विपदा के बाद भी कुटिया आज भी वैसी ही है, जैसी तैयार की थी। बाबा से जब पूछा कि अचानक कुटिया की लकडिय़ां सरक जाएं तो उन्हें चोट लग सकती है। इस पर बाबा कहते हैं कि ये जीवन ही भगवान का दिया है। अब आगे भी सब उनके ही हाथ में है।