अद्धयात्म

सितारे कर रहे संकेत, तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बन सकता है सीरिया संकट

phpThumb_generated_thumbnail (31)दस्तक टाइम्स एजेंसी/जयपुर। कभी दुनिया की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में शुमार मैसोपोटामिया की सभ्यता का केंद्र रहा सीरिया आज गृहयुद्ध और आतंकवाद से त्रस्त है। यह एक ऐसा असफल राष्ट्र बन गया है जो कभी भी किसी बड़े महायुद्ध का कारण बन सकता है। पश्चिमी राष्ट्रों के आधुनिक मुस्लिम जगत में दखल की कहानी प्रथम विश्वयुद्ध में ऑटोमन तर्क साम्राज्य पर हमले से शुरू होती है।
 
ब्रिटेन और फ्रांस के मध्य वर्ष 1916 में हुए एशिया माइनर एग्रीमेंट के तहत प्रथम विश्वयुद्ध के अंत के साथ ही पराजित ऑटोमोन तुर्क  साम्राज्य को 1920 में इराक और सीरिया दो भागों में बांट दिया गया था।
 
इसके साथ ही अरब जगत में कई नए राष्ट्रों का निर्माण हुआ। उसके बाद वर्ष 1924 में तुर्की के शासक मुस्तफा  कमाल पाशा ने खलीफा  की पदवी को खत्म कर अरब जगत को पश्चिम के सहयोग से आधुनिकता की ओर ले जाने का प्रयास शुरू किया। 
 
 
बाद में 1930 के दशक में अरब राज्यों में कच्चे तेल (पेट्रोलियम) के अकूत भंडार मिलने के साथ ही यहां पश्चिम की अन्य साम्राज्यवादी ताकतों जैसे अमरीका और रूस का दखल बढ़ता चला गया।
 
वर्तमान में अरब जगत में शिया-सुन्नी देशों के विवाद, इस्लामिक आतंकवाद और इजराइल-फि लिस्तीन का झगड़ा पश्चिमी राष्ट्रों की आर्थिक साम्राज्यवाद की नीतियों का परिणाम है।
 
क्या कहते हैं सितारे?
ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो अनुराधा और ज्येष्ठा नक्षत्रों में गोचर कर रहे शनि अरब जगत के लिए बेहद अशुभ माने जाते हैं। पिछले कुछ समय से शनि वृश्चिक राशि में इन्हीं नक्षत्रों से गोचर कर रहे हैं और अब युद्ध के कारक ग्रह मंगल से उनकी युति एक तो करेला और ऊपर से नीम चढ़ा की कहावत को चरितार्थ करती प्रतीत हो रही है।
 
हाल में सऊदी अरब और तुर्की ने सीरिया में सैन्य दखल देने की अपनी मंशा जाहिर की थी। इसके जवाब में रूस ने दोनों देशों को इसके गंभीर नतीजे भुगतने और इस क्षेत्र में तीसरे विश्वयुद्ध के छिडऩे की चेतावनी दे डाली। रूस इस क्षेत्र में सीरिया के शिया समुदाय के राष्ट्रपति बशर-अल-असद का तथा शिया बहुल देश ईरान का प्रबल समर्थक है।
 
दूसरी ओर अमेरिका सुन्नी बहुल देशों जैसे सऊदी अरब, तुर्की, मिस्र आदि का सहयोगी है। अब जब आगामी सूर्यग्रहण, जो कि 9 मार्च को है, धर्म से संबंधित राशि कुम्भ पर पड़ेगा तो शिया और सुन्नी देशों में विवाद का बढऩा तय है। इसके साथ ही धर्म का कारक ग्रह गुरु इन दिनों सिंह राशि में राहु के साथ युत है जो कि ज्योतिष में मुस्लिम जगत का भी कारक माना जाता है।
 
 
गुरु वक्री होकर न केवल पाप ग्रह राहु से युत है, अपितु इस पर दुखकारक ग्रह शनि की दसवीं दृष्टि पड़ रही है। इस अशुभ ग्रह स्थिति के कारण आने वाले चार महीनों में अरब जगत में जनसंघारक घातक अस्त्रों का प्रयोग युद्ध में होगा, जो कि समूची मानव जाति को शर्मसार कर देंग।
 
ऐसी है बगदादी की कुंडली
सिंह राशि से प्रभावित इटली के रोम, कन्या राशि से प्रभावित इजराइल के जेरुसलम और वृश्चिक राशि से प्रभावित सऊदी अरब के धार्मिक स्थान आतंकी संगठनों या सैन्य हमले का निशाना बन सकते हैं। इस सन्दर्भ में इस्लामिक स्टेट की कुंडली  देखने पर भयावह स्थिति नजर आती है।
 
आईएसआईएस के सरगना अबू बक्र अल-बगदादी ने 29 जून 2014 की शाम इराक के मौसुल शहर में खुद को खलीफा घोषित कर अपने संगठन का नाम इस्लामिक स्टेट रखा। जिस समय इस आतंकी संगठन की ओर से यह घोषणा जारी की गई, तब स्थानीय समय के अनुसार धनु लग्न उदय हो रहा था और चंद्रमा कर्क राशि में था।
 
संयोग से लग्न पर शनि और मंगल दोनों पापी ग्रहों की दृष्टि पड़ रही थी। विनाश के अष्टम भाव में फं से चंद्रमा और लग्नेश गुरु पर शनि की पाप दृष्टि पड़ रही थी। इन भंयकर योगों  ने इस संगठन को जल्द ही दुनिया का सबसे खूंखार और जालिम आतंकी गुट बना डाला।
 
 आने वाले कुछ दिनों में इस संगठन का मुखिया बगदादी मारा जा सकता है, किंतु इस्लामिक स्टेट की कुंडली में नवमेश सूर्य और दशमेश बुध का राजयोग है। अत: यह संगठन अपने नए सरगना को जल्द ही चुन कर फिर से उठ खड़ा होगा। 
 
इस्लामिक स्टेट के आतंकियों द्वारा आने वाले तीन महीनों में यूरोप और अमेरिका के शहरों में रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रयोग के बाद इस क्षेत्र में बड़ा युद्ध छिडऩे की आशंका बन रही है। युद्ध छिडऩे से भारत को इस क्षेत्र में काम कर रहे अपने नागरिकों को निकालने के लिए एक बड़ा अभियान चलाना पड़ सकता है।
 

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