नई दिल्ली। कांग्रेस और भाजपा सहित पांच पार्टियों के 11 सांसदों ने एक विदेशी कंपनी को प्रोत्साहन के पक्ष में सिफारिशी पत्र देने के एवज में कथित रूप से 5० ००० से 5० लाख रुपये तक की मांग की। यह दावा गुरुवार को एक खोजी वेबसाइट ने किया है। आपरेशन फाल्कन क्लाव के कूटनाम से जांच करने वाले कोबरापोस्ट वेबसाइट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने कहा कि छह सांसदों ने पत्र दिया है। उन्होंने कहा ‘‘छह सांसदों ने 5० ००० से 75००० रुपये लेकर मेडिटेरेनियन आयल इंक के पक्ष में सिफारिशी पत्र हमें दिया भी है।’’ उन्होंने कहा ‘‘अन्य लोग 5 लाख रुपये से कम पर माने ही नहीं और एक सांसद ने तो पत्र के एवज में 5० लाख रुपये की मांग की।’’ जांच के दौरान ये सांसद कैमरे पर यह कहते हुए कैद किए गए कि वे भारत में अपनी दुकानें स्थापित करने में कंपनी की मदद करने के लिए तैयार हैं। कोबरापोस्ट के मुताबिक ये सांसद कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जनता दल युनाइटेड (जदयू) और एआईएडीएमके के हैं। कोबरापोस्ट ने इन सांसदों के नाम बताए हैं। ऐसे सांसदों में के. सुगुमार और सी राजेंद्रन (एआईएडीएमके) लालू भाई पटेल रविंद्र कुमार पांडे और हरि मांझी (भाजपा) विश्व मोहन कुमार महेश्वर हजारी और भूदेव चौधरी (जदयू) खिलाड़ी लाल बैरवा और विक्रमभाई अरजानभाई (कांग्रेस) और कैसर जहां (बसपा) शामिल हैं। बहल ने कहा कि इन सांसदों में से किसी ने भी फर्म की सच्चाई जांचने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने कहा ‘‘सांसदों ने सबसे ज्यादा रुचि इस बात में दिखाई कि रुपये उन्हें नगद दिए जाएं। एक सांसद ने हवाला के जरिए नगद दिए जाने की मांग की।’’ कोबरापोस्ट ने कहा है कि उसके रिपोर्टरों में से एक के. आशीष ने आशीष जादौन के जाली परिचय पर आस्टे्रलिया के क्वींसलैंड की कंपनी मेडिटेरेनियन आयल इंक का प्रतिनिधि बन कर सांसदों के साथ संपर्क साधा। सांसदों के साथ मुलाकात के दौरान रिपोर्टर ने कंपनी की वेबसाइट ब्रॉशर और कंपनी प्रोफाइल दिखाई। खुद को कंपनी का परामर्शदाता बताते हुए रिपोर्ट ने पूर्वोत्तर भारत में तेल की खोज ठेका हासिल करने में सांसदों से समर्थन मांगा। बहल ने बताया कि 1००० करोड़ रुपये की परियोजना का हवाला देते हुए रिपोर्टर ने सांसदों से सिफारिशी पत्र मांगा। इन सांसदों में से अधिकांश ने ऐसे मामले में अपने कर्मचारी या रिश्तेदार या बिचौलिए के माध्यम से सुलझाए। बहल के मुताबिक इन सांसदों ने ठीक उसी दौरान पैसे की मांग की थी जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खुदरा क्षेत्र में विदेशी भागीदारी के सवाल को लेकर सरकार की घेराबंदी कर रखी थी और यहां तक कि इस मुद्दे पर संसद को ठप कर रखा था।