सिर्फ सोचिए और स्क्रीन पर खुद टाइप होने लगेंगे शब्द
पिछले दो सालों से फेसबुक Building 8 नाम के एक सीक्रेट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था. इसके बारे में हमने आपको पहले भी बताया था. लेकिन आखिरकार कंपनी ने इससे पर्दा हटा दिया है. फेसबुक के सालाना डेवलपर कॉन्फ्रेंस F8 के दूसरे दिन कंपनी ने अपने इस अत्याधुनिक प्रोजेक्ट Buiding 8 के बारे में बताया है.
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दरअसल फेसबुक Buildin 8 नाम के इस प्रोजेक्ट के तहत माइंड रीडिंग तकनीक यानी दिमाग पढ़ने वाली टेक्नॉलॉजी पर काम कर रही है. इस इवेंट के दौरान कई ऐसी चीजें बताई गई हैं जो वाकई हैरान कर देने वाली हैं.
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फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्क के मुताबिक सोशल नेटवर्क फेसबुक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नॉलॉजी पर काम कर रही है जो एक दिन सिर्फ दिमाग के जरिए बातचीत संभव बना देगी.
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इस इवेंट के दौरान एक वीडियो दिखाया गया जिसमें एक ऐसी महिला जो बोल या सुन नहीं सकती है. वो ना अपना हाथ हिला सकती है और नही टाइप कर सकती हैं. लेकिन इस वीडियो में दिखाया गया है कि वो सिर्फ सोच रही हैं और स्क्रीन पर वर्ड्स खुद ब खुद टाइप हो रहे हैं. हालांकि यह हमारे स्मार्टफोन और कंप्यूटर में टाइप किए गए वर्ड्स से काफी स्लो है, लेकिन कंपनी के मुताबिक जब यह टेक्नॉलॉजी हकीकत बनेगी तो इसकी स्पीड भी बढ़ जाएगी.
Building 8 प्रोजेक्ट फेसबुक के कंज्यूमर हार्डवेयर लैब का एक हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट की हेड रेगीना ने यह भी खुलासा किया है कि उनकी टीम सिर्फ ब्रेन वेभ के जरिए एक मिनट में 100 वर्ड्स टाइप करने पर काम कर रही है.
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इसके अलावा फेसबुक और भी कई अत्याधुनिक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इसमें इंसानों की स्किन के जरिए स्पोकेन लैंग्वेज डिलिवर करना भी शामिल है जो काफी हैरान करने वाला है. यानी स्किन के जरिए भी इंसान सुन सकता है.
Facebook F8 कॉन्फ्रेंस में बताया गया है कि इस Building 8 प्रोजेक्ट में 60 इंजीनियर्स की टीम ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस डेवलप कर रही है जो हाथ से नहीं बल्कि दिमाग से टाइप करने के लिए. इसके लिए इंसानों के दिमाग को स्कैन करने के लिए ऑप्टिकल इमेज का यूज किया जाएगा. इसके बाद इंसानों के दिमाग में चल रही चीजों को टेक्स्ट में तब्दील कर दिया जाएगा.
स्किन के जरिए आप सुन सकेंगे
यह दूसरा प्रोजेक्ट है जिसके तहत इंसान अपनी स्किन के जरिए सुन सकता है. कंपनी ने कहा है कि वो स्किन के जरिए लैंग्वेज डिलिवर करने के लिए जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है. इंसान की स्किन 2m2 नर्व्स का नेटवर्क होता है जो दिमाग तक इनफॉर्मेशन ले जाता है.
इवेंट के दौरान Building 8 की हेड ने कहा कि ब्रेल 19वीं शताब्दी में फ्रांस में शुरू हुई थी और इस लिपि ने यह साबित किया है कि सर्फेस पर उभारों को दिमाग शब्दों में तब्दील कर लेता है. इसके अलावा उन्होंने Tadoma मेथड का भी जिक्र किया जिसे 20वीं शताब्दी में बनाया गय था. इसके जरिए वैसे बच्चे जो देख और सुन नहीं सकते थे वो प्रेशर चेंज के जरिए बातचीत कर पा रहे थे.
उन्होंने कहा है कि इस टेक्नॉलॉजी से भाषा और शब्दकोश सीखना अभी शुरुआत है, क्योंकि हम स्किन के जरिए भी सुन सकते हैं.