सीएए के विरोध में पीएफआई का हाथ, 108 लोग गिरफ्तार
लखनऊ : सीएए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान उत्तर प्रदेश में हिंसा फैलाने में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की अहम भूमिका सामने आने पर पीएफआइ के खिलाफ शिकंजा कस गया है। प्रदेश में अब तक चार दिनों में पुलिस ने पीएफआई के 108 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनमें पांच तो बेहद सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और एडीजी/डीजी कानून-व्यव्स्था पीवी रामाशास्त्री ने आज प्रेसवार्ता कर बताया कि नागरिता सशोधन कानून के विरोध में अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर व मेरठ में हिंसा के मामले में पुलिस बेहद सक्रिय है। इस मामले में लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, मेरठ, गाजियाबाद व शामली में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्यों की धरपकड़ शुरू की गई। बीते चार दिन में कानपुर समेत 13 जिलों से 108 सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। प्रदेश में 19 और 20 दिसंबर को सीएए के विरोध में हुई हिंसा के मामले में यह काफी बड़ी करवाई है। इससे पहले पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि अभी तक तो पीएफआइ के 108 लोगों को पकड़ा गया है। अब इनके शीर्ष कार्यकर्ता पर शिकंजा कसने के लिए अन्य एजेंसी से भी लगातार बात चल रही है। प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत पीएफआई के कोषाध्यक्ष और संगठन से जुड़े कई पदाधिकारी और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। चार दिनों में 104 लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही आंकड़ा अब 108 पर पहुंच गया है। अभी भी पुलिस केंद्रीय एजेंसियों की मदद से उत्तर प्रदेश पीएफआई के फंडिंग नेटवर्क की जांच में लगी है। डीजीपी हितेशचंद्र अवस्थी ने बताया कि 2001 में सिमी पर प्रतिबंध के बाद 2006 में पीएफआई केरल में बना। डीजीपी के मुताबिक पीएफआई का संगठन पूरे यूपी में है। उन्होंने कहा कि पीएफआई ने उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाई है। विभिन्न जनपदों से पीएफआई के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, गोंडा, वाराणसी, बहराइच, सीतापुर, गाजियाबाद में पीएफआई सक्रिय है। डीजीपी ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया है कि पीएफआई राष्ट्र विरोधी अभियान चला रहा है। सीएए के खिलाफ लोगों को भड़का कर हिंसक प्रदर्शन में पीएफआई की भूमिका सामने आई है।
पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष को हिंसा के मामले में जमानत के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि 19 तथा 20 दिसंबर के हिंसक प्रदर्शन की अभी जांच चल रही है। कोर्ट में मजबूती से मामला लड़ा जाएगा। प्रदेश में 19 व 20 दिसंबर के हिंसक प्रदर्शन के बाद मेरठ से सर्वाधिक 21, वाराणसी से 20, बहराइच से 16, लखनऊ से 14, गाजियाबाद से नौ, शामली से सात, मुजफ्फरनगर से छह, कानपुर से पांच, बिजनौर से चार, सीतापुर से तीन तथा गोंडा, हापुड़ व जौनपुर से एक-एक पीएफआइ कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया है। पीएफआई राष्ट्र विरोधी अभियान चला रहा है। जहां इन्हें मौका मिलता है, वहां यह आम लोगों को भड़का कर हिंसा के लिए उकसाते हैं। इस संगठन पर पुलिस की पैनी नजर है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ प्रेस वार्ता में मौजूद अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि बीते वर्ष साल दिसम्बर में उत्तर प्रदेश में सीएए के विरोध में प्रदर्शन के मामले पीएफआई के 25 कार्यकर्ताओं को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। अवनीश अवस्थी ने कहा कि हम उनकी फंडिंग के बारे में जांच कर रहे हैं। आर्थिक स्तर पर जांच पूरी हो चुकी है।