सीएम ने कहा- प्रदेश की आर्थिक सेहत ठीक नहीं
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-मध्यप्रदेश :
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा विधायक दल की बैठक में साफ संकेत दिए कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। बावजूद इसके राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता में किसान हैं। किसानों के लिए विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार ने करीब 8 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट का प्रावधान किया है। यह राशि तमाम तरह के अन्य विभागों के बजट को काटकर जुटाई गई है।
सूत्रों के मुताबिक विधायक दल की बैठक में साफ दिशा निर्देश दिए गए कि संकट की इस घड़ी में निर्माण कार्यों या कोई भी अतिरिक्त खर्च के प्रस्ताव से विधायक बचें। सीएम ने कहा कि अभी पूरा फोकस किसानों की राहत पर है। गौरतलब है कि प्रदेश में कर्ज की स्थिति लगभग सवा लाख करोड़ पहुंचने की संभावना है। वहीं केन्द्रीय मदद और राज्य को प्राप्त होने वाली आमदनी में गिरावट आई है।
प्रदेश पर 1 लाख 10 हजार करोड़ का कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार पर कुल 1 लाख 10 हजार 863 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। जून 2015 से अब तक सरकार खुले बाजार से 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज उठा चुकी है। अब सरकार 10 नवंबर को एक बार फिर 3 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को माली हालत का हवाला देते हुए 5 हजार करोड़ रुपए का सॉफ्ट लोन मांगा है। हालांकि, अभी तक केन्द्र सरकार से कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। राज्य सरकार ने केन्द्र से फसल बीमा में दिए जाने वाले राज्यांश भी देने की मांग की है। इसके अलावा नाबार्ड से पुनर्वित्त 60 से बढ़ाकर 80 फीसदी करने का मुद्दा उठाया है।
तेजी से घट रहा राजस्व: प्रदेश में बढ़े खर्चों और घटती आमदनी से सरकार का आर्थिक गणित गड़बड़ा रहा है। हालत यह है कि किसान को सूखे की स्थिति में राहत देने के नाम पर बजट में 15 प्रतिशत की कटौती कर दी है, जो कि 20 हजार करोड़ से ज्यादा होती है। जबकि, किसानों को राहत दस हजार करोड़ रुपए बांटी जानी है। सूत्रों का कहना है कि किसानों को राहत पैकेज की आड़ में राज्य सरकार अपने खजाने के गड़बड़ाते गणित को साध्ाने की कोशिश में जुटी है।
इनमें कम हो सकती है आय: वाणिज्यिक कर विभाग में लगभग एक हजार करोड़, खनिज में 500 करोड़, ई-रजिस्ट्री में 500 करोड़ की कमी होने की संभावना जताई जा रही है।