सीरिया में रसायनिक हथियारों की जांच के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन की नई मुहिम
सीरिया में कथित रासायनिक हथियार वाले इलाकों को निशाना बनाकर सैन्य हमले करने के कुछ ही घंटे बाद अमेरिका, फ्रांस एवं ब्रिटेन ने सीरिया में हुए रसायनिक हमलों की जांच के लिये रविवार (15 अप्रैल) को संयुक्त राष्ट्र में नई मुहिम शुरू की. अमेरिका और उसके दोनों सहयोगी देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक संयुक्त मसौदा प्रस्ताव जारी किया. इसमें निर्बाध मानवीय सहायता उपलब्ध कराने, युद्ध विराम लागू करने का आह्वान करते हुए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में शांति वार्ताओं में सीरिया के शामिल होने की मांग की गयी है.
यह मसौदा प्रस्ताव दोषियों की पहचान के उद्देश्य से सीरिया में रासायनिक हमलों के आरोपों के संबंध में स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करेगा. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जांच के प्रस्ताव को बेअसर करने के लिये नवंबर में रूस तीन बार अपने वीटो का इस्तेमाल कर चुका है. जांच में यह पता चला था कि पिछले साल अप्रैल में सीरियाई बलों ने खान शेखून पर हमलों में नर्व एजेंट सरीन के इस्तेमाल किया था.
इसमें रासायनिक शस्त्र निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) को यह निर्देश दिया गया है कि वह 30 दिन के अंदर यह रिपोर्ट दे कि सीरिया ने अपने रासायनिक हथियार के जखीरे को पूरी तरह से खुलासा किया है या नहीं. परिषद को संबोधित करते हुए अमेरिकी दूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका आश्वस्त है कि सीरिया पर हुए सैन्य हमलों ने उसके रासायनिक हथियार कार्यक्रमों को नुकसान पहुंचाया.
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के साथ संयुक्त कार्रवाई कर सीरिया पर मिसाइल हमला किया था. सीरिया के पूर्वी गोता के डौमा में हाल में कथित रूप से सीरिया द्वारा रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने पहले ही असद सरकार को चेतावनी दी थी. इस हमले में बच्चों सहित 75 लोग मारे गए थे.
रूस ने संयुक्त राष्ट्र में मुंह की खाई, सीरिया पर अमेरिकी हमले के खिलाफ पेश किया था प्रस्ताव
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस के उस प्रस्ताव को भारी बहुमत से खारिज कर दिया. जिसमें उसने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा सीरिया पर किये गए ‘हमले’ की निंदा की बात कही थी. इसके साथ ही सीरिया के रासायनिक हथियारों के ठिकानों को लक्षित कर किये जा रहे गठबंधन के हवाई हमलों को सुरक्षा परिषद का मत भी मिल गया है. रूस की तरफ से बुलाई गई इस आपात बैठक में हालांकि इस बात को लेकर निराशा भी व्यक्त की गई कि अंतरराष्ट्रीय संगठन की यह सबसे ताकतवर इकाई पिछले सात सालों से चले आ रहे सीरियाई संघर्ष से निपटने में नाकाम नजर आई है.
तीन पश्चिमी देशों के गठबंधन की सेनाओं द्वारा सीरिया में ‘हमले’ और ‘आगे किसी तरह के बल के इस्तेमाल’ की निंदा और इसे फौरन रोके जाने की मांग वाले प्रस्ताव को 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद के सिर्फ दो देशों चीन और बोलीविया का साथ मिला. इसके विपरीत आठ देशों ने रूसी प्रस्ताव के खिलाफ मत दिया. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्वीडन, कुवैत, पोलैंड और आइवरी कोस्ट शामिल हैं. मतदान के दौरान चार देश – इथियोपिया, कजाखिस्तान, इक्वेटोरियल गिनी और पेरू – अनुपस्थित रहे.