राज्य
सुकमा और ताड़मेटला हमले में शामिल नक्सली ने किया सरेंडर, खोले कई राज
सुकमा। सुकमा हमले में शामिल नक्सली पोडियम पंडा ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। पुलिस और सुरक्षा बलों को पिछले 6 सालों से पोडियम पंडा की तलाश थी। नक्सलियों और नेता, मानवाधिकार आयोग, व्यापारियों के बीच अहम कड़ी की भूमिका निभाने वाले पोडियम पंडा ने कइयों के नाम का भी खुलासा भी किया है। इसकी निशानदेही पर ही 8 नक्सलियों को मंगलवार को पकड़ा गया था। सुकमा हमले की यूं रची गई थी साजिश…
– चिंतागुफा के पूर्व सरपंच पोडियम पंडा ने 7 मई को चिंतागुफा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।
– 9 मई को पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के सामने पेश किया गया। इसके बाद कागजी कार्रवाई कर इससे पूछताछ की गई।
– पूछताछ में अहम सुराग हाथ लगने के बाद इसकी निशानदेही पर चिंतागुफा और इसके-आस-पास के इलाकों से 8 नक्सलियों को पकड़ा गया।
– बुधवार को सुकमा में पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने प्रेस कांफ्रेंस कर बाकायदा इसके सरेंडर का खुलासा किया। इस दौरान आरोपी ने मीडिया के सामने खुद सुकमा हमले की साजिश समेत कई राज खोल दिए।
2 साल से करना चाह रहा था सरेंडर
– पोडियम पिछले दो साल से सरेंडर करना चाह रहा था। नक्सलियों के बड़े कमांडरों को इसकी भनक लग गई।
– इसके बाद हमेशा इसके साथ साए की तरह 4-5 हथियारबंद नक्सलियों को लगा दिया गया।
– पिछले दिनों इसको वॉच करने वाले पांचों नक्सली मिनपा में बीच पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
– बस इसके बाद पोडियम को मौका मिला गया और वह भागकर टेकलपारा आ गया। यहां उसने चिंतागुफा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।
– पोडियम पिछले दो साल से सरेंडर करना चाह रहा था। नक्सलियों के बड़े कमांडरों को इसकी भनक लग गई।
– इसके बाद हमेशा इसके साथ साए की तरह 4-5 हथियारबंद नक्सलियों को लगा दिया गया।
– पिछले दिनों इसको वॉच करने वाले पांचों नक्सली मिनपा में बीच पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
– बस इसके बाद पोडियम को मौका मिला गया और वह भागकर टेकलपारा आ गया। यहां उसने चिंतागुफा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।
सुकमा हमले की यूं रची गई थी साजिश
– पोडियम ने बताया कि सुकमा हमले से पहले 15 अप्रेल को नक्सली कमांडर आयतु आकर मिला।
– इसे इंसास रायफल देकर हमले के लिए तैयार होने को कहा। इसके बाद हमले की तैयारी शुरु हो गई।
– बस डेट फिक्स नहीं थी। प्रॉपर हमले के लिए मौके की तलाश की जा रही थी। 24 अप्रेल को वो मौका मिल गया।
– मौके पर नक्सली अलग-अलग टुकड़ी में गए थे। हर टुकड़ी में एक कमांडर था। हमले के दौरान पोडियम ने दो फायरिंग भी की थी।
– ये शाम 4 बजे तक उस इलाके में था। इसने बताया कि जवानों की गोली से एक टुकड़ी के कमांडर अनिल की मौत हो गई और 4 लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए थे।
– इसे बोला गया कि इन्हें लेकर कसालपाड़ के पास इंतागुफा चला जाए।
– बाद में इस इलाके में फोर्स के एक्टिव होने के बाद इसे वहां से हट जाने को कहा गया।
– पोडियम ने बताया कि सुकमा हमले से पहले 15 अप्रेल को नक्सली कमांडर आयतु आकर मिला।
– इसे इंसास रायफल देकर हमले के लिए तैयार होने को कहा। इसके बाद हमले की तैयारी शुरु हो गई।
– बस डेट फिक्स नहीं थी। प्रॉपर हमले के लिए मौके की तलाश की जा रही थी। 24 अप्रेल को वो मौका मिल गया।
– मौके पर नक्सली अलग-अलग टुकड़ी में गए थे। हर टुकड़ी में एक कमांडर था। हमले के दौरान पोडियम ने दो फायरिंग भी की थी।
– ये शाम 4 बजे तक उस इलाके में था। इसने बताया कि जवानों की गोली से एक टुकड़ी के कमांडर अनिल की मौत हो गई और 4 लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए थे।
– इसे बोला गया कि इन्हें लेकर कसालपाड़ के पास इंतागुफा चला जाए।
– बाद में इस इलाके में फोर्स के एक्टिव होने के बाद इसे वहां से हट जाने को कहा गया।
ऐसे आया नक्सलियों के संपर्क में
– पोडियम ने बताया कि वर्ष 1997 में चिंतागुफा का इसे सरपंच चुना गया।
– वर्ष 1998 में नक्सली कमांडर मदन्ना इसके पास आया और इसे गांव में संघम कमेटी गठित करने के लिए कहा।
– इसके बाद से ही नक्सली हमेशा इसके संपर्क में रहे। इसने नक्सली और उनके शहरी नेटवर्क के बीच अहम कड़ी की भूमिका निभाई।
– नक्सलियों के दैनिक उपयोग की सामग्री पहुंचवाने से लेकर बड़े-बड़े व्यापारियों के चंदे पहुंचवाने में पोडियम की अहम भूमिका होती थी।
– बड़े नेताओं से नक्सलियों से संपर्क कराने से लेकर मानवाधिकार आयोग के एक्टिविस्टों को जंगल में पहुंचवाने में भी अहम भूमिका अदा करता था।
– इसने नंदिनी सुंदर और बेला भाटिया को कई बार नक्सलियों से मिलवाना स्वीकार किया है।
– पोडियम ने बताया कि वर्ष 1997 में चिंतागुफा का इसे सरपंच चुना गया।
– वर्ष 1998 में नक्सली कमांडर मदन्ना इसके पास आया और इसे गांव में संघम कमेटी गठित करने के लिए कहा।
– इसके बाद से ही नक्सली हमेशा इसके संपर्क में रहे। इसने नक्सली और उनके शहरी नेटवर्क के बीच अहम कड़ी की भूमिका निभाई।
– नक्सलियों के दैनिक उपयोग की सामग्री पहुंचवाने से लेकर बड़े-बड़े व्यापारियों के चंदे पहुंचवाने में पोडियम की अहम भूमिका होती थी।
– बड़े नेताओं से नक्सलियों से संपर्क कराने से लेकर मानवाधिकार आयोग के एक्टिविस्टों को जंगल में पहुंचवाने में भी अहम भूमिका अदा करता था।
– इसने नंदिनी सुंदर और बेला भाटिया को कई बार नक्सलियों से मिलवाना स्वीकार किया है।
– इसने जंगल में नक्सलियों के बड़े ठिकाने समेत दूसरे कई खुलासे भी किए हैं। पोडियम से पूछताछ अभी जारी है।