सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दहेज उत्पीड़न में अब तुरंत होगी पति की गिरफ्तारी
बता दें कि दहेज प्रताड़ना के मामले में सीधी गिरफ्तारी पर रोक के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अप्रैल महीने को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछले साल जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने दहेज प्रताड़ना अधिनियम के हो रहे दुरूपयोग के मद्देनजर कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दहेज उत्पीड़न कानून के दुरूपयोग को रोकने के मद्देनजर दो सदस्यीय पीठ द्वारा दिशानिर्देश बनाने केनिर्णय पर पुन: परीक्षण करने का निर्णय लिया था।
पीठ ने कहा था कि जब 498ए को लेकर आईपीसी में पहले से ही प्रावधान हैं, ऐसे में कोर्ट दिशानिर्देश कैसे बना सकता है? हां, यह जरूर कहा जा सकता है कि जांच एजेंसी को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते वक्त चौकस रहना चाहिए, लेकिन गाइडलाइंस क्यों बनाना चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले साल 28 जुलाई को राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश मामले में दो सदस्यीय पीठ ने कई दिशानिर्देश जारी किए थे। इनमें दहेज उत्पीड़न मामले में बिना जांच-पड़ताल के पति और ससुरालियों की गिरफ्तारी पर रोक की बात कही गई थी। साथ ही पीठ ने हर जिले में कम से एक परिवार कल्याण समिति के गठन का निर्देश दिया था।
यदि 498ए की हर शिकायत को समिति के पास भेजा जाए और समिति की रिपोर्ट आने तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। साथ ही इस काम के लिए सिविल सोसाइटी को भी शामिल करने का निर्देश दिया गया था।