उत्तराखंड

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ‘मिस’यूज कर रही केंद्र सरकार

narendra-modi-56217b89e4bc0_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी- उत्तराखंड : केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का गलत तरीके से देख रही है। उत्तराखंड सरकार द्वारा दिया गया हलफनामा इसकी तस्दीक करता है।

उत्तराखंड सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार की गलतफहमी के कारण राज्य को भारी नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार ने आरोप लगाया है कि पनबिजली परियोजनाओं को लेकर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से देख रही है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि 13 अगस्त 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में अलकनंदा और भागीरथी नदी के किनारे स्थित 24 जल विद्युत परियोजनाओं के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और राज्य सरकार को पर्यावरण क्लीयरेंस या फॉरेस्ट क्लीयरेंस देने पर रोक लगाई थी लेकिन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय राज्य के किसी भी जल विद्युत परियोजना को पर्यावरण क्लीयरेंस या फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं दे रहा है।

मंत्रालय राज्य की अन्य जल विद्युत परियोजनाओं के प्रस्तावों को लगातार ठुकरा रहा है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संबंध में निर्देश लाने के लिए कहा था लेकिन केंद्र सरकार द्वारा दाखिल किसी भी हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया गया है।

केंद्र द्वारा इन 24 परियोजनाओं के अलावा किसी भी परियोजना को पर्यावरण क्लीयरेंस या फॉरेस्ट क्लीयरेंस न देने के कारण राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इन परियोजनाओं को अंजाम देने वाली कंपनियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस कारण इन परियोजनाओं का भविष्य खतरे में पड़ गया है।

हलफनामे में सरकारी भायोल रुपसियाबागर जल विद्युत परियोजनाओं का जिक्र करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि यह परियोजना न तो उन 24 परियोजनाओं की सूची में है और न ही यह परियोजना अलकनंदा और भागीरथी नदी के किनारे हैं। इस परियोजना के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस या फॉरेस्ट क्लीयरेंस की दरकार है न कि अभी किसी निर्माण के लिए अनुमति मांगी गई है।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की 24 पनबिजली परियोजनाओं पर रोक लगा रखी है। हालांकि राज्य में बिजली संकट का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने 24 पनबिजली परियोजनाओं में से छह परियोजनाओं पर लगी रोक हटाने की गुहार की थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इसके लिए अनुमति मांगी है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर निर्णय लेने से पहले पर्यावरणविदों की राय जाननी चाही थी। यह बात दीगर है कि गत वर्ष दिसंबर महीने में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ही हलफनामा दाखिल कर वर्ष 2013 में राज्य में हुई भीषण तबाही के लिए जल विद्युत परियोजनाओं को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन बाद में सरकार एनटीपीसी, एनएचपीसी, टीएचटीडी और जीएमआर की एक-एक और सुपर हाइड्रो की दो परियोजनाओं पर लगी रोक हटाना चाहती है।

 

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